July 10, 2025
देश दुनिया

Waqf को लेकर लगी याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित

सॉलिसिटर जनरल ने कहा काफी सोच विचार कर बनाया गया कानून, वक्फ से जुड़ी समस्याओं का हल है इसमें

वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की वैधता वाली पांच याचिकाओं पर अंतरिम आदेश सुरक्षित रख लिया गया है. मुख्य बिंदुओं में वक्फ संपत्तियों के डिनोटिफिकेशन और वक्फ-बाय-यूजर शामिल हैं. सुप्रीम कोर्ट ने लगातार तीन दिन सुनवाई के बाद कहा कि वक्फ रजिस्ट्रेशन की जरूरत 1923 और 1954 के पूर्व कानूनों के तहत रही है. वक्फ कानून के विरोध में याचिका करने वालों के वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि वक्फ दर्जे पर रिपोर्ट आने तक वक्फ का दर्जा खत्म हो जाता है. सिब्बल का कहना था कि यदि 200 साल बाद सरकार कहेगी कि कब्रिस्तान की जमीन हमारी है तो क्या जमीन छिन जाएगी. सीजेआई ने कहा कि जमीन का रजिस्ट्रेशन जरुरी है तो कराया जाना चाहिए. सिब्बल का तर्क था कि नए वक्फ कानून में ऐतिहासिक और संवैधानिक सिद्धांतों को दरकिनार किया गया है और सरकार गैर-न्यायिक प्रक्रिया से वक्फ हथियाना चाहती है. अभिषेक मनु सिंघवी ने उनका साथ देते हुए कहा कि यह कानून कभी वक्फ को जमीन देता है और कभी छीन लेता है. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने तीन मुद्दों पर ही पूरी सुनवाई कायम रखने की बात करते हुए कहा कि इन तीन बिंदुओं से इतर बातें बार बार रखी जा रही हैं जबकि बात इन तीन बिंदुओं पर ही होनी है.

तुषार मेहता के अनुसार ये मुद्दे वक्फ-बाय-यूजर सिद्धांत, वक्फ बोर्ड या परिषद में गैर-मुस्लिमों की नियुक्ति के अलावा सरकारी जमीन को वक्फ बताने की प्रक्रिया वाले ही हैं. बाकी किसी मुद्दे पर किसी भी प्रभावित पक्ष अदालत नहीं आया. न संसद के इस कानून को पारित करने के अधिकार को कोई चुनौती ही है. केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि वक्फ से जुड़ी समस्याएं नए कानून से हल की गई हैं और हर पक्ष की बात ली गई है. मेहता ने कहा कि यह बिल काफी सोच विचार के साथ बना है, ऐसा नहीं कि मंत्रालय ने बिना विचार के बिल बनाया और वोटिंग हो गई हो. उन्होंने कुछ याचिकाकर्ताओं के पूरे मुस्लिम समुदाय की ओर से बोलने पर भी आपत्ति ली और कहा कि अदालत में जो याचिकाएं आई हैं, वे ऐसे लोगों की हैं जो सीधे प्रभावित ही नहीं हैं. उन्होंने बताया कि इस कानून को बनाने के लिए जेपीसी की 96 बैठकें हुई और हमें 97 लाख लोगों के प्रतिनिधित्व वाले सुझाव मिले.