Ulema Board 17 मांगों के बदले देगा एमवीए को समर्थन
2012 के बाद के सभी मुस्लिमों पर केस वापस लेने की भी मांग
मुस्लिम संगठन उलेमा बोर्ड ने शरद पवार, उद्धव और कांग्रेस की तिकड़ी से कहा है कि यदि उसे मुस्लिमों के एकमुश्त वोट चाहिए तो वो सत्रह मांगें स्वीकार करे.
चूंकि शरद पवार तो ऐसे कामों के लिए पहले से ही तैयार हैं और कांग्रेस को भी इसी वोटबैंक से उम्मीद है इसलिए माना जा रहा है कि ये दोनों तो ऐसी मांगों को भी मान लेने को तैयार हो जाएंगे जो कि पूरी करना कानूनन भी संभव नहीं हैं. इस सबके बीच सबसे ज्यादा मुश्किल उद्धव ठाकरे की है जो इन मांगों पर सहमत होंगे तो यह आरोप और मजबूत होगा कि वे मुस्लिम वोट के लिए बाल ठाकरे की विचारधारा को तिलांजलि दे रहे हैं. उलेमा बोर्ड की एक मांग है कि मुस्लिमों के लिए दस प्रतिशत के रिजर्वेशन की बात मान ली जाए. अब इसे पूरा करना इस हिसाब से संभव नहीं है कि सुप्रीम कोर्ट ने पचास प्रतिशत की अधिकतम सीमा तय कर रखी है और इससे ज्यादा आरक्षण किसी कीमत पर नहीं हो सकता.
ऐसे में यदि युति इस मांग को मान ले तो उसे बताना होगा कि वह किसका मौजूदा आरक्षण कम कर मुस्लिमों को देगा. एक और मांग यह है कि 2012 से अब तक महाराष्ट्र में मुस्लिमों पर जितने केस चल रहे हैं उन्हें खत्म कर दिया जाए. उलेमाओं का यह संगठन चाहता है कि केंद्र द्वारा लाए गए वक्फ संशोधन विधेयक का सभी गठबंधन के सभी दल विरोध करने का आश्वासन दें और इन सबसे पहले गारंटी बतौर महाराष्ट्र वक्फ बोर्ड के पास एक एक करोड़ रुपए जमा कराएं. हद यह है कि चुनाव के ऐन मौके पर हालात भांपते हुए मुस्लिम वोट के लिए ऐसी ही अजीब सभी सत्रह मांगें माानने को भी यह गठबंधन तैयार है.