June 14, 2025
देश दुनिया

Turkish Technic का एयर इंडिया से टूटता करार और इस दुर्घटना में कोई संबंध तो नहीं?

विमान दुर्घटना को लेकर कई तरह की बातें सामने आ रही हैं लेकिन यह जानकारी चौंकाने वाली है कि एयर इंडिया के वाइड बॉडी प्लेन का मेंटेनेंस यह कंपनी देखती रही है

अहमदाबाद में हुई विमान दुर्घटना में 242 में से 229 यात्री और 12 क्रू मेंबर्स के मारे जाने और सिर्फ एक यात्री के जिंदा बच पाने की बात सामने आने के साथ ही इसमें एक नया पेंच सामने आ गया है. दरअसल पिछले दिनों ऑपरेशन सिंदूर के समय उठी भावनाओं को देखते हुए एयर इंडिया ने तय किया था कि वह तुर्किए की कंपनी टर्किश टेक्निक के साथ अपना विमानों के रखरखाव वाला कॉन्ट्रैक्ट धीरे धीरे खत्म कर देगी. इससे पहले ग्राउंड का काम संभालने वाली सेलेबी को भारत ने बाहर का रास्ता दिखा दिया था. ऐसे में एयर इंडिया जैसे क्लाइंट का हाथ से जाना तुर्किए के लिए किसी बड़े झटके से कम नहीं रहा, यूं भी एयर इंडिया के पास 191 विमानों का बेड़ा है जिसमें से 64 बड़े हैं यानी जिनका काम इस कंपनी को मिला हुआ था. एयर इंडिया प्रबंधन ने एकदम से पूरा कॉन्ट्रैक्ट खत्म न करते हुए कहा था कि हम अपने प्लेन्स की दुरुस्ती के लिए तुर्किए वाली कंपनी पर कम निर्भर रहेंगे और दूसरी जगहों पर भी अपने विमानों के सुधार के लिए भेजने पर काम कर रहे हैं. ऐसे में इस भीषण हादसे को लेकर जो लोग कॉन्स्पिरेसी थ्योरी चला रहे हैं वो पूरी तरह से गलत भी नहीं कही जा सकती हैं. तुर्किए ऑपरेशन सिंदूर के समय पूरी तरह से पाकिस्तान के साथ था और उसे न सिर्फ हमलावर ड्रोन देने में तुर्किए अव्वल रहा बल्कि इन्हें ऑपरेट करने के लिए उसने एक्सपर्ट भी भेजे थे यानी भारत के साथ युद्ध में वह पाकिस्तानी सेना के साथ हमसे लड़ रहा था. इसके बाद जब सेलेबी को कॉन्ट्रैक्ट से हटाया गया तो भी तुर्किए को काफी नुकसान हुआ था और वह इस आदेश के खिलाफ अदालत भी चला गया था.

ऐसे में एयर इंडिया का बोइंग 787 और 777 सुधारने वाला काम से हाथ से निकलने पर उसे जो झटका लगा वह भी अपनी जगह है और भारत विरोधी साजिशों का जो काम है वह भी इसमें शामिल होने से इंकार नहीं किया जा सकता. एयर इंडिया ने इस बारे में बताते हुए यह भी कहा था कि एयरका्रॅफ्ट के मेंटेनेंस का काम एकदम से किसी कंपनी से नहीं लिया जा सकता है क्योंकि पूरी प्रक्रिया बदलने में समय लगता है. मेंटेनेंस, रिपेयर और ओवरहॉल यानी तकनीकी भाषा में कहे जाने वाले एमआरओ के लिए तुर्किए की कंपनी पर ‘ज्यादा’ निर्भर न रहने की बात कहते हुए टाटा ने सोचा भी नहीं होगा कि इस समय के बीच भी ऐसी कोई घटना हो सकती है. अब यह देखा जाना भी जरुरी है कि जो षड्यंत्र की बातें चल रही हैं उनमें कितनी सच्चाई है क्योंकि यह बात भी सामने आ गई है कि दिल्ली से अहमदाबाद पहुंचे इस विमान का मेंटेनेंस के मामले में बुरा हाल था और इसका एक वीडियो दिल्ली से अहमदाबाद पहुंचे एक यात्री ने बनाकर डाला ही था. यह भी बताया जा रहा है कि एयर इंडिया के दो कैप्टन खराब ऑक्सीजन सिलेंडर को लेकर चिंता जता चुके थे और डीजीसीए ने खराब उपकरणों के चलते नोटिस देते हुए इस विमान को उड़ान से रोकने के लिए कहा था. चूँकि प्लेन में 217 वयस्क, 11 बच्चे और दो नवजात शामिल थे, मरने वालों में ब्रिटिश, कनाडाई वगैरह नागरिक भी शामिल थे इसलिए भारत के विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो के साथ इन देशों की एजेंसियां भी जांच में शामिल होंगी. इसके अलावा शिकागो कन्वेंशन के अनुसार अमेरिकी एजेंसी एनटीएसबी भी हादसे की जांच करेगी क्योंकि दुनिया में कहीं भी अमेरिका में बने या डिजाइन किए प्लेन की दुर्घटना होती है तो इस एजेंसी का जांच करनी ही होगी है लेकिन अब लगता है कि तकनीकी जांचों के अलावा इस बात की भी जांच की पूरी जांच होनी चाहिए कि कहीं यह सेबेोटेज तो नहीं है और यदि हां तो कहीं दुश्मन देश का इसमें सीधा हाथ तो नहीं है.