July 10, 2025
देश दुनिया

Supreme Court ने अपना फैसला पलटकर आरक्षण का रुख बदला

आरक्षण के अंदर आरक्षण राज्य सरकारें तय कर सकेंगी

आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अपना ही एक पुराने फैसले को छह के मुकाबले एक की बेंच से पलट दिया. पहले कहा गया था कि राज्य सरकारें अनुसूचित जाति, यानी एससी के आरक्षण में कोटे में कोटा दे सकती हैं लेकिन अब इससे ठीक उलट फैसला देते हुए राज्य सरकारों को यह अधिकार दे दिया गया है कि वे आरक्षण के भीतर आरक्षण तय कर सकें. यानी अनुसूचित जाति और जनजातियों में अब राज्य सरकारें सब- केटेगरी बना सकती हैं.

सात सदस्यों वाली पीठ की अगुवाई सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ कर रहे थे और उनके साथ इस निर्णय पर 6 जजों ने सहमति जताई बेंच की एकमात्र महिला सदस्य जस्टिस बेला त्रिवेदी इस फैसले से सहमत नहीं थीं. फैसले में साफ किया गया कि अनुसूचित जाति को उसमें शामिल जातियों के आधार पर बांटना संविधान के अनुच्छेद-341 के खिलाफ नहीं माना जा सकता. राज्यों को यह अधिकार देने के साथ ही कोर्ट ने मनमर्जी से फैसला कर सकने के रास्ते भी बंद कर दिए हैं और अनुसूचित जाति के भीतर किसी एक जाति को 100% कोटा न देने की शर्त जोड़ दी है. कुल 23 याचिकाएं इस बात के लिए लगाई गई थीं कि अनुसूचित जाति और जनजातियों के आरक्षण का फायदा कुछ ही जातियों को मिल रहा है जबकि कई जातियां इन फायदों से बिलकुल अछूती रह गई हैं. इन हालात को बदलने के लिए आरक्षण के अंदर भी आरक्षण की व्यवस्था होना चाहिए. 2004 में सुप्रीम कोर्ट का ही एक का फैसला इस बात के खिलाफ था कि सब-कैटेगरी में बांट कर आरक्षण व्यवस्था की जाए. पूरा मामला 1975 से शुरु हुआ जब पंजाब सरकार ने रिजर्व सीटों फैसला लिया था और उसे लेकर पिछले तीस सालों से इस बात पर बहस चली आ रही थी कि कोटे के अंदर कोटा दिया जा सकता है या नहीं.