Supreme Court की राष्ट्रपति को नसीहत पर भड़के धनखड़
सिटिंग जज के घर में नोटों से भरे बोरे जलने के मामले की भी याद दिलाई
पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट द्वारा राज्यपालों के साथ साथ राष्ट्रपति तक को विधानसभाओं द्वारा पारित बिल समयसीमा में निपटाने के आदेश को लेकर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कुछ मौजूं सवाल उठाते हुए कहा है कि हम किस दिशा में जा रहे हैं. राष्ट्रपति के अधिकारों और धारा 145(3) का जिक्र करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि जब सिटिंग जज पपर कदाचार के आरोप लगते हैं तो उनकी जांच के लिए भी अदालत तैयार नहीं होती. इसी संदर्भ में होली वाली रात एक सिटिंग जज के घर में आग लगने पर नोटों के बारों में जलने वाली घटना का भी जिक्र जगदीप धनखड़ ने किया.
उन्होंने संसदीय परंपराओं और लोकतंत्र की मूल भावना का जिक्र करते हुए कहा कि संसद से बढ़कर कोई सुप्रीम संसद क्यों होना चाहिए. अदालतों को उन्होंने याद दिलाते हुए कहा कि आपको कानून की विवेचना का अधिकार है लेकिन आप राष्ट्रपति को निर्देश या आदेश देने में खुद को कैसे सक्ष्राम पाते हैं, समझ से परे है. राज्यसभा के इंटर्न्स के छठे बैच को संबोधित करते हुए धनखड़ ने धारा 142 का भी जिक्र किया और कहा कि न्यायालयों के लिए यह धारा न्यूक्लियर मिसाइल बन चुकी है और यह हरदम उन्हें उपलब्ध भी है. उपराष्ट्रपति के इस भाषण से साफ है कि पिछले दिनों कुछ मामलों में जिस तरह से न्याय प्रक्रिया का दखल हुआ है और अभी फिर वक्फ कानून पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है उसे लेकर संसद के गलियारों में सुगबुगाहट तो है.