Stray Dogs वाले निर्णय पर फिर सोचेंगे सीजेआई ने कहा
एक तर्क यह भी कि जब सही संख्या ही नहीं पता तो नीति कैसे बनेंगी, कुछ अनुमान कि इनकी संख्या छह करोड़ से जी ज्यादा है
भारत में पिछले तीन दिनों से आवारा कुत्तों पर आए सुप्रीम कोर्ट के निर्णय पर विचार मंथन चल रहा है और अब सीजेआई ने कहा है कि इस निर्णय पर एससी एक बार फिर विचार करेगा. 11 अगस्त 2025 को एनसीआर से सभी आवारा कुत्तों को आठ सप्ताह में शेल्टर में डालने का आदेश दिया है. पशु अधिकार के लिए लड़ने वाले इस पर सवाल उठा रहे हैं जबकि रैबीज और कुत्तों के काटने के आंकड़े सामने रखकर एक खेमा आदेश को बेहतरीन बता रहा है. अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि सभी आवारा कुत्तों को आठ सप्ताह के भीतर शहरी क्षेत्रों से हटाकर शेल्टर में रखें और सड़कों पर दोबारा नहीं छोड़े जाएं. इस प्रक्रिया में जो भी व्यक्ति या संगठन बाधा डाले उस पर कार्रवाई हो और यह अवमानना की कार्रवाई तक हो सकती है.
इस प्रकरण में मजे की बात यह है कि अब तक कोई यह बताने की स्थिति में नहीं है कि आखिर देश में आवारा कुत्तों की संख्या कितनी है. 2012 में इनकी संख्या दो करोड़ के आसपास मानी गई थी लेकिन अपुष्ट सूत्र कहते हैं कि यह संख्या अनुमानों से कहीं ज्यादा है जो तीन गुना होगी यानी ऐसे अनुमान में छह करोड़ से कहीं ज्यादा आवारा कुत्ते देश में होने की संभावना जताई जाती है. मार्स पेटकेयर सर्वे ने एक अनुमान में यह संख्या 5.25 करोड़ मानी है. जाहिर है कि जब इनकी संख्या ही सही न पता हो तो नीति निर्माण, निर्णय और उनका क्रियान्वयन मुश्किल काम हो जाता है. ऐसे में शेल्टर निर्माण से लेकर टीकाकरण और नसबंदी तक के कार्यक्रम न सही तरीके से बन पाते हैं और न लागूहोते हैं.
वैसे सुप्रीम कोर्ट के ताजा आदेश का विरोध करने वालों का कहना है कि पशु जन्म नियंत्रण नियमावली 2023 का उल्लंघन करेगा. इस नियमावली में पकड़कर बधिया करने और फिर टीका लगाकर छोड़ देने का जिक्र है यानी ऐसे स्वस्थ कुत्तों को उनके मूल स्थान पर लौटा दिया जाना चाहिए और सिर्फ रेबीजग्रस्त, लाइलाज बीमार या खतरनाक कुत्ते ही स्थायी रूप से हटाए जा सकते हैं. इस आदेश को लेकर पेटा का कहना है कि पीड़ादायक बताया है वहीं मेनका गांधी ने इसे अजीब और अव्यावहारिक बताया है. इस मामले में यदि अन्य देशों का रवैया देखें तो पता चलता है कि तुर्की ऐसे कुत्तों को शेल्टर में रखकर नसबंदी और टीकाकरण करवाने पर जोर देता है जबकि जापान में लोकल बॉडी शेल्टर के साथ इन्हें गोद लेने की सुविधा भी देती हैं, अमेरिका में इन्हें एनिमल केयर सेंटर्स से देखभाल मिलती है जबकि सबसे ज्यादा सही तरीका सिंगापुर अपनाता है जो चिप लगाकर इनकी ट्रैकिंग करने के साथ नसबंदी और गोद लेने की प्रक्रिया का संयुक्त प्रयास करता है.