Sindhu Water Treaty को भारत ने रद्द किया, पाकिस्तान में हाहाकार
दूतावास से लेकर वीसा तक पर कड़ाई के चलते पाकिस्तान की हालत होगी खराब
पहलगाम में आतंकियों द्वारा 28 हत्याओं के बाद जिस तेजी से घटनाचक्र चला है उसके निर्णय भी सामने आने लगे हैं. प्रधानमंत्री और वित्तमंत्री ने जिस तरह से विदेश यात्राएं बीच में छोड़ीं, जिस तेजी से अमित शाह कल शाम ही कश्मीर पहुंचे उससे यह तो साफ था कि तुरंत कुछ निर्णय लिए जाएंगे. आज कैबिनेट कमेटी सुरक्षा की बैठक के बाद विदेश सचिव ने जिन निर्णयों की जानकारी दी है उसमें सबसे बड़ा कदम तो सिंधु वॉटर ट्रीटी को खत्म करने का है. इसी के साथ यह भी तय हुआ कि भारत में पाकिस्तान का दूतावास बंद कर दिया जाए. वाघा बॉर्डर बंद करने के साथ ही पाक नागरिकों को वीसा बंद कर दिया गया है और अभी जो लेाग वीसा पर भारत में हैं उन्हें इनके कैंसल होने की जानकारी देकर भारत छोड़ने को कहा जाएगा. राजनयिक तौर पर एक बड़ाा कदम यह भी उठाया गया है कि राजनयिकों और मिलिट्री अटेची को भारत से चले जाने को कह दिया गया है.
क्या है सिंधु जल समझौता
भारत और पाकिस्तान ने एक संधि पर 19 सितंबर 1960 को कराची में साइन किए जिसमें सिंधु और इसकी सहायक नदियों के पानी के इस्तेमाल पर कुछ शर्तें तय हुई थीं, इसे ही सिंधु वॉटर ट्रीटी या जल समझौता कहा जाता है. नेहरू और पाकिस्तानी राष्ट्रपति मोहम्मद अयूब खान ने इस पर हस्ताक्षर किए. इस जल संधि को तत्काल रोक दिया गया है. भारत ने 2023 में इस संधि में बदलाव और सुधार की बात की थी, दोबारा इस बारे में 2024 में नोटिस भेजा गया तो इसमें संधि की समीक्षा की मांग भी साथ थी. भारत ने पुरानी संधि खत्म कर, नए सिरे से समझौता करने की मांग की. संधि के अनुच्छेद XII (3) के अनुसार सरकारें सहमति से समझौते और उसकी शर्तों को बदल सकती हैं. भारत ने इससे जुड़ी किशनगंगा और रातले पर परियोजनाएं तेज करते हुए 330 मेगावॉट और 850 मेगावॉट बिजली उत्पादन के काम को भी बढ़ाया. पाकिस्तान ने इन परियोजनाओं को संधि का उल्लंघन बताया. सिंधु जल समझौते रुकने से पाकिस्तान में जल संकट खड़ा होने की संभावना है. पाकिस्तान की 80 फीसदी कृषि भूमि भी इस पानी पर निर्भर होने से अन्न संकट भी बढ़ेगा. कराची, लाहौर, मुल्तान के पीने के पानी से लेकर दो बड़े पॉवर प्रोजेक्ट भी इससे जुडे़ हैं इससे बिजली का संकट भी पाकिस्तान में बढ़ने की संभावना प्रबल होगी.