Rajyasabha डेरेक ओ ब्रायन पूरे सत्र के लिए सस्पेंड
जगदीप धनखड़ बहुत दुखी हुए डेरेक के व्यवहार से
विनेश्ड फोगाट मुद्दे पर टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन सरकार से बयान चाहते थे लेकिन उन्होंने ऐसा तरीका चुना कि उपराष्ट्रपति ने खुद कुर्सी छोड़ने तक की बात कह दी और आखिर उन्हें सदन से इस पूरे सत्र के लिए ही निलंबित कर दिया गया. डेरेक पर इसी संदर्भ में एक टिप्पणी…
बोर्नविटा क्विज कॉन्टेस्ट के होस्ट हुआ करते थे तो वे हमारे लिए गजब के क्विज मास्टर हुआ करते थे क्योंकि उनसे अच्छा क्विज मास्टर और उनके क्लास की क्विज कहीं होती ही नहीं थी. कुछ समय तक यह कॉन्टेसट और इसके बाद आने वाली वह सांइस मैगजीन जिसे कभी गिरीश कर्नाड और महेश भट्ट पेश करते थे हमारी साप्ताहिक खुराक में शामिल थी, जब महाभारत के लिए काफी लोग बेसब्र इंतजार करते हमारे इंतजार में डेरेक होते.
उनका अंग्रेजीदां नाम, उनकी मास्टरी, उनका अंदाज सब बहुत फबने वाला था, समय के साथ टीवी से ही नाता टूट गया तो पता ही नहीं चला कि बोर्नविटा ही नहीं उसके द्वारा पॉवर्ड क्विज की भी ताकत धीमी पड़ने लगी लेकिन सबसे बुरा हश्र हुआ डेरेक का. वे न जाने कैसे पढ़ने लिखने वाली, बेहतरीन क्विज मास्टर की भूमिका से गिरते पड़ते ममता बनर्जी की पार्टी में पहुंच गए. शायद उन्हें राज्यसभा इस शर्त के साथ ही दी गई कि वे अपने सारे संस्कार, सारीअक्लमंदी और सारी सभ्यता किनारे रख देंगे और ठीक वैसे ही सदन में पेश आएंगे जैसे कुछ अक्खड़ और बददिमाग सांसद हरकतें करते हैं.
आज राज्यसभा में उन्होंने इस कदर गिरी हुई हरकत की कि राज्यसभा आसंदी से सभापति को यह तक कहना पड़ा कि अब ऐसी हरकत की तो यहां से सीधे बाहर कर दूंगा. डेरेक फिर भी नहीं रुके तो धनखड़ ने खुद ही कुर्सी से दूर हो जाने की पेशकश कर दी. जब से डेरेक सांसद बने हैं तभी से उनकी हरकतें देखिए और उनके बयान देखिए एक पल को भी नहीं लगेगा कि इस व्यक्ति में जरा तमीज बची है.
डेरेक कह सकते हैं कि ऐसे सैकड़ों सांसद है जिन पर माननीय शब्द फिट नहीं होता तो अकेले उन पर क्यों सवाल उठाए जाते हें और इसका जवाब भी उन्हें खुद ही मिल जाएगा कि चूंकि उनसे समझदारी की उम्मीद की जाती है, उनसे एक मिसाल पेश करने की उम्मीद हम लगाए बैठे थे, उनके सांसद बनने पर हमें खुशी हुई थी कि चलो इसे देखकर कुछ तो बदलाव आएगा… जब वही डेरेक ऐसी हरकतें दिखते हैं तो लगता है कि कैसे हम इंसान की सच्चाई जाने बिना उनसे जुड़ जाते हैं, समझ नहीं आता कि वह जहीन डेरेक असली था या यह डेरेक असली है जो असभ्यता की हद तक जा सकता है. दूसरे भी ऐसी ही हरकतें करते हैं लेकिन उनसे इतना दुख शायद उपराष्ट्रपति को भी नहीं होता लेकिन जब डेरेक ऐसा करते हैं तो वह दिल तोड़ने वाली बात होती है. डेरेक की एक सफाई यह हो सकती है कि ममता बनर्जी के सांसद के नाते उन्हें ऐसा ही व्यवहार शोभा देता है लेकिन तब उन्हें खुद से पूछना चाहिए कि क्या उन्हें इस शर्त के साथ सांसद भी रहना चाहिए?