July 9, 2025
देश दुनिया

Raj- Uddhav का मिलना कार्यकर्ताओं को रास नहीं आ रहा

इंडी गठबंधन के घटक भी कह रहे कि राज यदि उद्धव की तरह नीति नहीं बदलते तो हमारे साथ नहीं आ सकते

महाराष्ट्र में चल रही नई गठबंधन राजनीति के चलते उद्धव और राज ठाकरे भले मंच पर एक दूसरे के करीब नजर आ गए हों लेकिन राहें इतनी आसान अब भी नहीं हैं. दोनों ही पार्टी के कार्यकर्ता और अन्य नेता समझ ही नहीं पा रहे हैं कि कल तक एक दूसरे को गरियाने वालों से अचानक अब गले कैसे लग जाएं और ये बातें दोनों तरफ से तो सुनाई दे ही रही हैं इसे लेकर इंडी गठबंधन में भी हलचल है. जिस तरह के बयान संजय राउत और प्रियंका चतुर्वेदी वगैरह की तरफ से आए हैं उनसे साफ हो रहा है कि न तो राज वाली मनसे इससे खुश है और न उद्धव का शिवसेना गुट ही राज एंड कंपनी को पचा पा रही है.

इंडी गठबंधन की तरफ से भी बयान आने लगे हैं कि भले शिवसेना उद्धव और राज की मनसे आपस में मिल लिए हों लेकिन इंडी में आने के लिए राज को भी अपने तेवर बदल कर ठीक वैसे ही करने होंगे जैसे कि भाजपा गठबंधन टूटने के बाद से उद्धव ने बदले हैं. जो विश्लेषक उद्धव और राज के मंच पर मिलने वाले दृश्य का विश्लेषण कर रहे हैं वो कुछ और भी बातों पर ध्यान देने का कह रहे हैं जैसे जब ये दोनों चचेरे भाई आपस में मिल रहे थे तो दोनों के बेटे दूर दूर और अलग खड़े थे और बमुश्किल सुप्रिया सुले इन्हें मंच के बीच ला पाईं, जब आदित्य ठाकरे ठीक राज के बगल में कुछ सेंटीमीटर की दूरी पर थे तब भी राज ने उन्हें एक बार भी देखना उचित नहीं समझा. उद्धव और राज भी बड़ी गर्मजोशी से मिले हों, ऐसा नहीं है. इनके मंच पर आने के बाद से दोनों पार्टियों के जो बयान आए हैं उनमें साफ हो रहा है कि इन दोनों का मिलना राजनीतिक दबाव ज्यादा है और वह भी पवार परिवार के प्रभाव में, जिस परिवार के मुखिया अपनी ही पार्टी टूटने से न बचा पाए और उनकी पार्टी तोड़ी भी तो उनके भतीजे ने ही है.