July 14, 2025
देश दुनिया

Parliament में राष्ट्रपति ने भी आपातकाल का जिक्र किया

संसद में तीन दिन से लगातार आपातकाल का जिक्र होने से यह संकेत तो साफ है कि संविधान बचाओ वाले नारे और संविधान की प्रतियां लेकर बार बार लहराने के इंडी गठबंधन के सदस्यों को सरकार बराबरी से जवाब देने कीकोशिश में है. संसद में 25 तारीख को प्रधानमंत्री ने आपातकाल का जिक्र किया और इसे काला अध्याय बताया, चूंकि उस दिन आपातकाल लगाए जाने की 49 वीं बरसी भी थी इसलिए माना गया कि यह तो होना ही था. इसके बाद जब अगले दिन यानी 26 जून को लोकसभा अध्यक्ष बतौर ओम बिरला फिर से चुने गए तो उन्होंने भी सबसे पहला काम आपातकाल की याद करते हुए इसे संविधान के लिए काला दिन बताया और जिन लोगों पर उस समय जुल्म ज्यादती हुई उनको याद करते हुए दो मिनट का मौन भी रखवाया. अब जब दोनों सदनों के संयुक्त अधिवेशन में राष्ट्रपति अभिभाषण्ण की बारी आई जो कि 18 वीं लोकसभा का पहला कदम है, वहां राष्ट्रपति ने भी आपातकाल का जिक्र किया है. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इमरजेंसी को याद करते हुए इसे असंवैधानिक बताया और कहा कि इस दौरान देश अराजकता में डूब गया था. यूं तो राष्ट्रपति ने महिला सशक्तिकरण से लेकर अन्य कई मुद्दों पर बोला और विपक्ष को यह भी समझाया कि नीतियों का विरोध करना अलग बात होती है और संसद न चलने देने की जिद एकदम अलग. इन सबके बावजूद राष्ट्रपति के अभिभाषण की मुख्य बात इमरजेंसी का जिक्र ही माना जाएगा. राष्ट्रपति द्वारा इमरजेंसी का जिक्र करते ही विपक्ष भड़क गया.