July 30, 2025
देश दुनिया

Pahalgam मामले के बाद अपने ही पैरों पर कुल्हाड़ी चलाता पाकिस्तान

समझौते रद्द करने, ट्रेड खत्म करने या वायुसीमा बंद करने से नुकसान पाकिस्तान का ही

पहलगाम में पाकिस्तान में ट्रेनिंग लेकर आए आतंकियों के अंजाम दिए गए हत्याकांड के बाद भारत ने कई देशों के राजनयिकों को बुलाकर इस मामले पर ब्रीफ किया, सर्वदलीय बैठक में भी सभी ने सरकार से बदला लेने को मंजूरी दी और गृहमंत्री ने राष्ट्रपति से मिकलर कुछ जरुरी फाइलों पर भी सलाह की. इससे पहले भारत ने अपनी तरफ से सिंधु जल समझौता स्थगित करने की बात कह ही दी थी और भारत में रह रहे सभी पाकिस्तानियों को तुरंत जाने का अल्टीमेटम देते हुए कई दूतावास कर्मियों को अवांछित घोषित कर दिया था. इस सबके बीच पाकिस्तान में भी हाईलेवल मीटिंग करते हुए पाकिस्तान ने जो कदम उठाए उनकी घोषणा भी अजीब ही रही. पाकिस्तान ने जो कदम उठाने की घोषणा की उनमें सबसे ज्यादा नुकसान उसी का होना तय है लेकिन जोश जोश में कह दिया गया कि हम अपनी तरफ से सभी द्विपक्षीय समझौते स्थगित कर रहे हैं. यानी 1972 में हुए शिमला समझौते सहित कई महत्वपूर्ण समझौते अब खटाई में पड़ गए हैं, इसी के साथ पाकिस्तान ने अपना वरयुक्षेत्र भारत के लिए बंद करने की घोषणा भी की और भारत से ट्रेड रिलेशन भी पूरी तरह खत्म करने की भी बात कही. मजे की बत यह है कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री यह मामूली बात तक नहीं समझ पा रहे हैं कि शिमला समझौते कें स्थगन, निलंबन या रद्द होने का सीधा मतलब होता है कि भारत के लिए लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल यानी एलओसी का पालन करने की बाध्यता भी नहीं रह जाएगी. ऐसे में भारत एलओसी पार भी कार्रवाई करे तो पाक कुछ नहीं कर सकेगा.
पाकिस्तानी प्रधानमंत्री कायर्यालय से जारी बयान में कहा है कि वह समझौते निलंबित करने के अधिकार का प्रयोग करेगा जबकि कूटनीतिक परिपक्वता के साथ यदि ड्रॉफ्ट बनाया जाता तो उसमें कहा गया होता कि पाकिस्तान समझौते निलंबित करने के अधिकार के प्रयोग को सुरक्षित रखता है. वैसे जारी बयान को गौर से समझें तो पता चलता है कि यह पाकिस्तान के लिए अपनी ही कब्र खोदने से कम नहीं है क्योंकि यदि समझौते निलंबित हो जाएं तो भारत को न एलओसी की बाध्यता रहेगी और न परमाणु मामले पर उसे किसी समझौते का पालन करना होगा. पाकिस्तान की तरफ से जिस ट्रेड को खत्म करने की बात कही जा रही है उसमें भी पाकिस्तान को लगभग चार हजार करोड़ का घाटा ही है क्योंकि भारत से पाकिस्तान सामान लेता ही है देता कुछ नहीं. लगभग यही हालत वायु सीमा को भारत के लिए बंद करने की भी है. यूं तो पाकिस्तान का वायु क्षेत्र भारत के लिए लंबे समय से बंद ही है लेकिन यदि यह तय हो जाए कि अब भारत पाक वायुसीमा का उपयोग नहीं कर सकेगा तो यह भी तय हो जाएगा कि करोड़ों करोड़ रुपए का वह राजस्व भी पाकिस्तान को नहीं मिलेगा जो भारतीय विमानन कंपनियां पाकिस्तान को वायुसीहमा उपयोग के बदले में देती हैं और यह रकम पाकिस्तान के लिए इसलिए बड़ी है क्योंकि उसके तो हाथ में कटोरा ही है. जितना पैसा भारतीय विमान कंपनियां उसे देतीं उतने के लिए तो पाकिस्तान किसी भी देश के चरणों में लोट लगा सकता है.