Pahalgam की घटना और गब्बर का कहना- अब गोली खा
- आदित्य पांडे
- शोले लिखने वाले सलीम- जावेद बेहतर जानते हैं ‘नमक की दुहाई’ और ‘अब गोली खा’ का चक्कर
जल्दबाजी इस बात की है कि कैसे यह बता दिया जाए कि मारे गए लोगों की सूची में एक मुस्लिम नाम भी है, मानो हमने कभी सलीम जावेद की लिखी शोले देखी ही न हो जिसमें साथी डाकू कहता है मालिक ‘मैंने आपका नमक खाया है’ और सरदार कहता है ‘अब गोली खा’. बायसरान के जिस रिसॉर्ट में आतंकियों ने चुन चुनकर लोगों को गोलियां मारी हैं उसमें स्थानीय लोगों की मिलीभगत से आप चाहें लाख इंकार कर लें लेकिन सबूत तो यही सामने आ रहे हैं कि आतंकियों को जमकर साथ मिला, सहयोग मिला और तो और उनके इस हत्याकांड करने की मंशा को पूरी करने में साथ देने में भी कुछ स्थानीय पीछे नहीं थे. पूरे मामले की बात शुरु से शुरु करें तो यह तथ्य सामने आया है कि बायसरान के इस रिसॉर्ट में पर्यटकों के लिए इस समय चालू रखने की जरुरी अनुमति ही नहीं थी. सुरक्षा बलों और स्थानीय प्रशासन की इसे बड़ी चूक माना जाना चाहिए कि जिस जगह पर्यटकों को रुकने के लिए सुरक्षा कारणों से अनुमति न दी गई हो वहां लोग कैसे ठहराए जा रहे थे. जाहिर है जहां सरकार या सुरक्षा एजेंसियां मान कर चल रही हों कि यहां कोई पर्यटक नहीं है वहां सुरक्षा के इंतजाम इतने होने ही नहीं थे.
इसके बावजूद कुछ प्रत्यक्षदर्शी बता रहे हैं कि घटनास्थल पर तीन पुलिसकर्मी मौजूद थे और उन्होंने इस पूरी घटना के दौरान मारे जा रहे लोगों की सहायता करने की कोशिश तक नहीं की. इससे भी गंभीर बात यह सामने आई है कि एक आतंकी टट्टू वाला बनकर पर्यटकों को सवारी कराने का काम कर चुका था. जाहिर है जो टट्टू वाले इस क्षेत्र के तयशुदा हैं उनसे इतर कोई नया व्यक्ति तभी वहां काम कर सकता है जब उसका बाकियों से कोई लेनदेन रहा हो या कि वह स्थानीय ही न हो. घोड़े और टट्टुओं का जीन लिंक तो आप जानते ही होंगे.
वैसे कुछ समय पहले पहलगाम गए कुछ पर्यटकों की चैट भी सामने आई है जिसमें एक फोटो में आतंकी लोगों को टट्टू पर घुमाता नजर आ रहा है. नरसंहार से बचे हुए एक व्यक्ति की यह बात भी सामने आई है कि उसने कुछ देर की राइड के बाद आगे यानी बायसरान तक जाने से मना कर दिया था, इसके बाद भी उसे जबरन ले जाया गया, टट्टू से उतरने ही नहीं दिया गया. इन सबके बीच एक मूल सवाल यह भी है कि इतने आतंकी, इतने हथियारों के साथ, घोड़ों की सवारी करते हुए ऐसी जगह पहुंच गए जहां घटना के बाद में सुरक्षा बलों को पहुंचने में आधे घंटे का समय लगा. हद यह कि किसी एक स्थानीय व्यक्ति को न तो शंका हुई न यह महसूस हुआ कि मामला गड़बड़ है. वैसे जिस नाम को लेकर सेक्युलर ब्रिगेड ने नैरेटिव दिया है कि वह तो पर्यटकों का रक्षक था या ‘धर्म पूछकर मारा तो मुस्लिम कैसे मर गया’ उन्हें शोले का वह सीन जरुर दिखा दीजिए जिसमें गब्बर कह रहा है ‘अब गोली खा’