चिदंबरम का बड़ा खुलासा अमेरिकी दबाव में नहीं लिया बदला
मुंबई आतंकी हमलों के 17 साल बाद इस मामले पर तत्कालीन गृहमंत्री ने कहा दबाव ज्यादा था हालांकि मैं बदला लेना चाहता था
पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री पी चिदंबरम ने मुंबई आतंकी हमलों को लेकर कहा है कि बतौर गृहमंत्री वो चाहते थे कि इस घटना का बदला लिया जाए लेकिन अमेरिका के दबाव के चलते हम ऐसा नहीं कर सके. एक न्यूज चैनल पर चिदंबरम ने कहा कि हमले के बाद उन्होंने पाकिस्तान पर सैन्य कार्रवाई के लिए सोचा था लेकिन पीएम और विदेश मंत्रालय ने जवाबी सैन्य कार्रवाई न करने का फैसला लिया जो अंतरराष्ट्रीय दबाव के चलते था. इस घटना के 17 साल बाद तत्कालीन गृहंत्री का यह स्वीकारना चौंकाने वाला खुलासा है. मुंबई में 26 नवंबर 2008 क आतंकी हमले में 175 लोग मारे गए थे. लगभग तीन दिन चले इस हमले में 10 आतंकियों ने ताज होटल, सीएसटी रेलवे स्टेशन, नरीमन हाउस, कामा हॉस्पिटल और मुंबई की सड़कों पर जमकर आतंक फैलाया था. अब उस घटना पर चिदंबरम ने कहा है कि हम पर पूरी दुनिया से यह दबाव रहा था कि हम युद्ध वाले विकल्प पर न जाएं. तत्कालीन अमेरिकी विदेश मंत्री ने तो सीधे ही कोई एक्शन न लेने की बात कह दी थी. चिदंबरम का कहना है कि उन्होंने जवाबी कार्रवाई पर तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से बात की थी लेकिन विदेश मंत्रालय ने पहले ही उन्हें कह दिया था कि प्रत्यक्ष सैन्य कार्रवाई से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की स्थिति कमजोर हो जाएगी इसलिए इससे बचना चाहिए.
भाजपा की तरफ से केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने अपने सोशल मीडिया पर लिखा कि पूर्व गृह मंत्री मान रहे हैं कि उन्होंने विदेशी दबाव के चलते मुबई हमले मामले को सही तरीके से हैंडल नहीं किया गया. यह तत्कालीन कांग्रेस सरकार की संदिग्ध नीति पर बड़ा सवाल है.
इस बयान के बाद फिर बहस तेज हो गई है कि क्या भारत को तत्काल सैन्य कार्रवाई करने के मामले में दबाव में आना चाहिए था.