June 21, 2025
देश दुनिया

Omar पहले की तरह फैसले ले सकने वाले सीएम नहीं हो सकेंगे

उमर फिर सीएम तो होंगे लेकिन ताकत पहले से काफी कम होगी

जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव जीतने के तुरंत बाद ही अब्दुल्ला पिता पुत्र के सुर बदल गए और उन्होंने कह दिया कि जिन्होंने पूर्ण राज्य का दर्जा छीना है उनसे हम धारा 370 हटाने की मांग क्या ही करेंगे. राज्य में जिन्होंने बढ़चढ़कर उमर और फारुक पर भरोसा कर वोट दिया था वे समझ ही नहीं पा रहे हैं कि आखिर ऐसा क्या हो गया कि सत्ता हाथ में आते ही इन दोनों ही नहीं कांग्रेस तक के हावभाव बदल गए. दरअसल इस सबके पीछे असलियत यह है कि जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 इस जीत का जश्न मनाने के लिए कारण ही नहीं बचाता है. उमर मुख्यमंत्री तो बन जाएंगे लेकिन वे वैसे मुख्यमंत्री नहीं हो सकेंगे जैसे उनके पिता या वो खुद कभी हुआ करते थे. सरकार और मंत्रियों को हर काम के लिए राजभवन की अनुमति लेनी होगी क्योंकि एलजी अब कहीं ज्यादा ताकतवर हैं. निर्वाचित विधानसभा और मंत्रिपरिषद की बात पर अंतिम मुहर एलजी की लगेगी जिन्हें राष्ट्रपति नियुक्त करेंगे.

इस अधिनियम के तहत एलजी पुलिस, सार्वजनिक व्यवस्था और भूमि जैसे मामलों के कार्यकारी नियंत्रक हैं. एलजी अखिल भारतीय सेवाओं और भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो जैसे मामलों में भी सरकार से ज्यादा ताकत रखेंगे और विधानसभा सत्र में न होने पर अध्यादेश जारी करने का हक तो उन्हें रहेगा ही. विधायी शक्तियां उनके पास निहित हैं. वित्तीय कानून विधानसभा में पेश करने के लिए भी एलजी की मंजूरी जरुरी होगी. बजटीय आवंटन और व्यय पर अंतिम अधिकार भी एलजी के पास ही है. विधानसभा की कुल सदस्यता के 10 प्रतिशत वाली मंत्रिपरिषद मुख्यमंत्री की सलाह पर एलजी नियुक्त करेंगे लेकिन उनके अधिकार इससे कहीं ज्यादा हैं. मंत्रियों का वेतन कानून से तय होगा लेकिन जब तक विधानसभा कानून न बनाए तब तक एलजी उनका पारिश्रमिक भी तय करेंगे.