Mughal Saltanat में गंगा स्नान टैक्स था महावतों की जान के बदले मिलने वाली कीमत के बराबर
सवा छह रुपए का टैक्स लगता था इलाहाबाद में गंगा स्नान पर, महावतों के मारे जाने पर इतना ही मिलता था मुआवजा
पिछले दिनों एक कथित इतिहासकार ने एक टीवी बहस के दौरान यह बताने की कोशिश की कि मुगलों में अकबर कितना रहमदिल था और तर्क यह दिया कि उसने हिंदुओं से गंगा में नहाने पर लिया जाने वाला कर खत्म कर दिया. न सिर्फ एंकर बल्कि पैनल में बैठे सभी लोग चौंके और दर्शकों का तो चौंकना स्वाभाविक ही था कि क्या वाकई ऐसा भी समय था जब मुगल काल में गंगा स्नान पर बाकायदा टैक्स लगता था. इस बारे में जब हमने और जानकारी निकालने की कोशिश की तो पता चला कि इलाहाबाद में यह टैक्स सवा छह रुपए के हिसाब से प्रति व्यक्ति वसूला जाता था. हो सकता है आज के हिसाब से सवा छह रुपए बहुत कम रकम गले लेकिन हकीकत यह है कि उस समय के सवा छह रुपए की आज इंडेक्स्ड कीमत आप गूगल या किसी एआई टूल से पूछते हैं तो वह भी चकरा जाता है और आपको सही आंकड़ा नहीं दे पाता, ऐसे में हमने तय किया कि इसे बजाए रुपए की कीमत से जोड़कर देखने के हम इंसानी कद्र के हिसाब से ही समझें तो इन्हीं इतिहास की किताबों ने बताया कि मुगल बादशाह हाथियों की लड़ाई कराते थे तो इंसानी जान कीमत ठीक इतनी ही लगाते थे जितना गंगा स्नान पर टैक्स था.
होता यह था कि हाथियों को भड़का कर लड़ाया जाता था और इनके महावत अक्सर इस लड़ाई में मारे ही जाते थे, शासकों के लिए जानों का जाना खेल से ज्यादा कुछ नहीं था और मरने वाले महावतों को छह सवा छह रुपए देकर उसके परिवार को बेसहारा छोड़ दिया जाता था. इसका जिक्र करते हुए इतिहास की किताबों में यहां तक लिखा गया है कि जब महावत ऐसी लड़ाई के लिए विदा होते थे तो उनकी पत्नियां अपनी चूड़ियां तोड़कर इसी तरह विदा करती थीं जैसे यह उनकी आखिरी मुलाकात हो और यदि कोई महावत जीवित लौट आए तो वह फिर से जीवन मिलने पर खुशियां मनाते थे और भोज दिया करते थे. जाहिर है उस समय के सवा छह रुपए की कीमत आज हमारी कल्पना और गणना से भी कहीं ज्यादा थी और इतनी राशि हिंदू श्रद्धालुओं से सिर्फ इस बात के लिए ली जाती थी कि वे गंगा में स्नान करने को धार्मिक कार्य मानते रहे और मुगल सल्तनत नहीं चाहती थी कि वे किसी भी तरह से अपने धर्म या धार्मिक अनुष्ठानों का पालन कर सकें. सरकार का आंकड़ा कहता है कि इलाहाबाद कुंभ में इस बार 40 करोड़ से भी कहीं ज्यादा लोगों ने स्नान किया और अब एक बार कल्पना कीजिए कि यदि यह मुगल सल्तनत के दौरान होता तो कितने अरब रुपए तो सिर्फ इस स्नान के टैक्स से बनाए जाते.