Monsoon Session हंगामे से शुरु होकर हंगामे पर ही खत्म
एक महीने चले इस सत्र में दोनों सदनों में कामकाज का आंकड़ा 37 घंटे भी नहीं छू सका
संसद का मानसून सत्र हंगामे से ही शुरु हुआ और आज हंगाम के बीच ही इसे अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया. 21 जुलाई से शुरू इस सत्र के अंतिम दिन तक पूरे एक महीने में राज्यसभा की कार्रवाई 38.6 घंटे चल सकी वहीं लोकसभा में भी सिर्फ 36.1 घंटा काम हो सका. यानी लगभग पूरा सत्र राजनीतिक टकराव और हंगामे की भेंट चढ़ गया. विपक्षी दलों ने बात बेबात सरकार को घेरा और काम रोकने में पूरा दम लगाया. सरकार ने इसे ऐतिहासिक और उपलब्धियों वाला सत्र बताया. सत्र में 12 विधेयक पारित हुए और लोकसभा में 419 प्रश्न सूचीबद्ध हुए लेकिन बहस और चर्चा लगातार बाधित रही.
बिहार में चल रहे एसआईआर यानी सिंथेटिक इलेक्टोरल रजिस्ट्रेशन पर मामला सबसे ज्यादा गर्माया रहा. विपक्ष का आरोप रहा कि एसआईआर से मतदाता सूची में छेड़छाड़ चल रही है और लाखों लोगों का मताधिकार खतरे में है लेकिन विपक्ष इस पर हंगामा करने में ही ज्यादा रुचि लेता नजर आया. लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने विपक्ष को संसद में गरिमापूर्ण चर्चा करने की सीख भी दी लेकिन नतीजा नहीं निकला. प्रधानमंत्री मोदी ने मानसून सत्र को अपने उद्बोधन में विजयोत्सव वाला सेशन बताया था. उन्होंने इस सत्र में लिए गए ऐतिहासिक फैसलों और पास किए गए विधेयकों का भी जिक्र किया. सत्र के समापन वाले दिनों में अमित शाह ने ऑनलाइन गेमिंग प्रमोशन और रेगुलेशन बिल 2025 जैसे बिल भी पेश किए.
राज्यसभा में भी हालात ज्यादा अलग नहीं रहे. वहां भी विपक्ष के हंगामे के चलते कई बार कार्रवाई स्थगित करनी पड़ी. सत्र के समापन के साथ ही राजनीतिक ध्रुवीकरण और संवादहीनता भी काफी बढ़ जाने का संकेत भी साफ सामने आ गया.