Modi सरकार जाति जनगणना पर राजी, राहुल ने बताया अपनी जीत
अब तक जाति जनगणना पर राहुल को घेर रहे मोदी समर्थक ही समझ नहीं पा रहे कि अब क्या कहें
देश में आजादी के बाद पहली बार जाति जनगणना होगी और यह तब जब पिछले कुछ समय से लगातार मोदी सरकार इसकी मांग करने पर राहुल गांधी की खिंचाई कर रही थी जबकि इस मुद्दे पर राहुल बार बार कह रहे थे कि मोदी सरकार को जातिगत जनगणना करानी ही होगी. जिस अंदाज में कल मोदी सरकार ने कल यह फैसला लिया है उससे यह साफ हो गया है कि कथित तौर पर मजबूत कही जा रही यह सरकार भी दबाव में आ रही है और कांग्रेस इको सिस्टम का वह कहना सही जिसमें वो बार बार कहते हैं कि सरकार भले तुम्हारी हो सिस्टम तो हमारा है. केंद्रीय कैबिनेट ने मोहन भागवत के प्रधानमंत्री से मिलने के अगले ही दिन जनगणना में जाति वाले सवाल को शामिल करने की मंजूरी दे दी. केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव के अनुसार मूल जनगणना के फॉर्म में ही इस संदर्भ में कॉलम होगा यानी अब तक जो जनगणना का फॉर्म 29 कॉलम का हुआ करता था उसमें बदलाव होगा. इस एलान को राहुल गांधी की जीत की तरह देखा जा रहा है और इस पर राहुल ने कहा भी कि हम इस कदम का तो सपोर्ट करते हैं लेकिन चाहते हैं कि यह समयसीमा में हो, पचास प्रतिशत की आरक्षण सीमा में भी खत्म हो और यह भी तय हो कि जिसकी जितनी आबादी उसकी उतनी हिस्सेदारी हो. माना जा रहा है कि यह कदम बिहार विधानसभा चुनाव से ठीक पहले चुनावी फायदे के लिए उठाया गया है. संभव है कि जनगणना की शुरुआत सितंबर में हो जो अगले एक साल तक चले. यदि इस साल जनगणना शुरु हो तो भी इसके अंतिम आंकड़े 2026 अंत या 2027 शुरुआत तक ही मिकेंगे. पिछली जनगणना 2011 में हुई थी जो 2021 में होनी थी लेकिन यह अब तक टलती रही.
अब जो घोषणा हुई है उसके हिसाब से जनगणना कराने के लिए जनगणना एक्ट 1948 में बदलाव करना होगा. 2011 की जनगणना के मुताबिक देश में 1,270 एससी की आबादी 16.6 प्रतिशत थी जबकि 748 एसटी की आबादी 8.6 प्रतिशत थी.