MHOW में हुई आगजनी और पत्थरबाजी सुनियोजित थी
जिस क्षेत्र में आप सामान्य स्थिति में एक पत्थर नहीं तलाश सकते वहां इतने पत्थर कैसे आ गए
इंदौर के छावनी क्षेत्र में भारत की जीत के जुलूस पर हमले और इसके बाद आगजनी व दंगे जैसे हालात खड़े करने वालों में 40 के नाम तो पुलिस को मिल ही चुके हैं क्योंकि इन चालीस नामों की नामजद रिपोर्ट हुई है. इस मामले में अब तक सात एफआईआर हुई हैं और अब इस पूरी साजिश की परतें भी खुल रही हैं. महू के जिन तीन क्षेत्रों में हालात बूकाबू हुए उन तीनों ही क्षेत्रों से यह बात सामने आई है कि उपद्रवियों ने न सिर्फ पत्थर पहले से जमा कर रखे थे बल्कि पेट्रोल बम भी पहले से रख लिए थे यानी यह अचानक आमना सामना होने पर हुई घटना न होकर सुनियोजित तरीके से किया गया उपद्रव था. जामा मस्जिद इलाके में तो यह सब बाद में हुआ लेकिन इससे पहले भी दो क्षेत्रों में ऐसा ही माहौल बनाने की कोशिश की गई थी. पुलिस को इस बात की जानकारियां भी मिल रही हैं कि तैयारी के तहत उपद्रवियों ने यह भी ध्यान रखा कि पत्थरबाजी करते हुए उनके चेहरे पर कपड़ा बंधा हो ताकि पहचान आसान न हो. एक पीड़ित ने एफआईआर में लिखवाया है कि जब वे शांतिपूर्वक भारत की जीत का जश्न मनाते हुए आगे बढ़ रहे थे तो मोती महल चौराहे पर बबलू, तैय्यब, गोलू, एहमद, पप्पू, अहमद, जमशेद, अब्दुल अनीस, शेरू, लल्लू, सैय्यद, इमरान, अफजल, सोहेल, रफीक और इमरान (2) समेत बाकी अज्ञात लोगों ने बुरी तरह गालियाँ बकते हुए कहा कि हमें पहले से पता था कि तुम जश्न मनाओगे और हमने तुम्हारे इलाज का इंतजाम पहले से ही कर दिया था, यह भी बताया गया है कि ज्यादा खुशियां मनाने पर हत्याओं की भी धमकी दी गई.
जिस क्षेत्र में सबसे बड़ी घटनाएं हुईं वहां पर अचानक इतनी मात्रा में पत्थर का मिलना भी पुलिस के लिए पहेली से कम नहीं है क्योंकि छोटी छोटी गलियों वाले इस क्षेत्र में सामान्य स्थतियों में आपको एक पत्थर भी बमुश्किल मिल सकेगा लेकिन उपद्रव करने वालें ने पहले से ही न सिर्फ पत्थर बल्कि पेट्रोल बम भी इकट्ठा कर रखे थे. अब इस घटना की पृष्ठभूमि को लेकर भी बात रखने वाले पुलिस को बता रहे हैं कि इस तरह की धमकियां पहले भी मिली थीं कि यदि किसी ने भारत की जीत पर जश्न मनाने की कोशिश की और खुशियां मनाईं तो उनका इलाज कर दिया जाएगा. महू में अब स्थिति शांत है और मुस्लिम पक्ष की ओर की पैरवी करने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर कुछ फैक्टचेकर यह बताने में लग गए हैं कि शांति से रमजान महीने की नमाज पढ़ने वालों को भारत की जीत के बाद कुछ लोगों ने उकसा दिया तो मामला बिगड़ गया लेकिन हकीकत यह सामने आ रही है कि इस पूरे घटनाक्रम की तैयारी की गई थी और पत्थरबाजी करने की वही रणनीति अपनाई गई जैसी कि कश्मीर में एक समय में सेना पर हमले करने वाले इस्तेमाल करते थे यानी अपनी पहचान छुपाने के लिए चेहरे को कपड़े से ढ़ांकना और नाबालिगों को इसमें आगे रखना ताकि पुलिस के सामने पहचान खुले भी तो कड़ी कार्रवाई न हो सके. 40 नामजद लोगों के अलावा भी इस बात को लेकर पुलिस माथापच्ची कर रही है कि आखिर इस सबके पीछे मास्टरमाइंड कौन है.