Media पर नजर रखने के लिए कॉमन मीडिया काउंसिल
प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया की गड़बड़ियां रोकने के लिए संसद समिति का सुझाव
संसद में संचार और सूचना प्रौद्योगिकी संबंधी स्थायी समिति ने देश के हर स्तर के मीडिया रेगुलेशन के लिए ‘कॉमन मीडिया काउंसिल’ बनाने का सुझाव रखा है. सुझाव है कि प्रिंट, ब्रॉडकास्ट और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स के सभी फॉर्मेट के लिए यह समिति ही नियम और कायदे देखे. रिपोर्ट कहती है कि निगरानी के मौजूदा ढांचे में फेक न्यूज़, सनसनीखेज रिपोर्टिंग और अनैतिकता पर नियंत्रण मुश्किल हो रहा है. सरकार को सूचना और प्रसारण मंत्रालय के साथ इलेक्ट्रॉनिक्स, आईटी मंत्रालय व दूरसंचार विभाग को मिलाकर संयुक्त नियामक ढांचा बनाने क सुझाव देते हुए समिति ने कहा है कि फिलहाल प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया के पास प्रिंट मीडिया को रेगुलेट करने का काम है, जबकि एमआईबी के पास ब्रॉडकास्ट मीडिया को देखने का काम है. डिजिटल मीडिया आईटी मंत्रालय के तहत है. अलग अलग रेगुलेटर्स के चलते न समन्वय हो पाता है और न सही निगरानी.
समिति ने प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया को व्यापक मीडिया काउंसिल में बदलने पर भी चर्चा का जिक्र किया है. काउंसिल की मुख्य जिम्मेदारियों में नैतिक मानकों को निर्धारित करने, फर्जी खबरों और भ्रामक सामग्री की जांच करने, मीडिया संगठनों को वित्तीय रूप से सुदृढ़ बनाने, क्षेत्रीय और स्थानीय मीडिया की मजबूती करने जैसे काम होंगे. यूं तो सरकार ब्रॉडकास्टिंग सर्विसेज (रेगुलेशन) बिल पर भी विचार कर रही है, जिसमें ओटीटी और डिजिटल न्यूज़ को सूचना प्रसारण मंत्रालय के अधीन लाने की बात है. यह बिल वर्तमान सत्र में भले न आए लेकिन इसका अगले कुछ समय में आना तय है. दूसरी तरफ स्थायी समिति के ‘कॉमन मीडिया काउंसिल’ वाले प्रस्ताव पर कुछ विशेषज्ञ और संगठन आपत्ति ले रहे हैं और ऐसी काउंसिल बनाए जाने से मीडिया की स्वतंत्रता बाधित होगी क्योंकि नियामक संस्था कंटेंट पर अधिक नियंत्रण करेगी जो सरकार के लिए हथियार बन सकता है. मीडिया अभी अधिकतर मामलों में स्व-नियमन करता है लेकिन प्रस्तावित काउंसिल से सरकारी हस्तक्षेप बढ़ेगा और यह मीडिया संगठनों की स्वायत्तता के लिए भी हानिकारक हो सकता है.