October 4, 2025
देश दुनिया

Leh Ladakh आखिर सरकार हिंसा के बाद ही क्यों जागती है

आदित्य पांडे

लगभग हर मामले में सरकार का रवैया यही नजर आता है कि मामले को टालते रहें

लद्दाख सुलगा हुआ है और सरकार जिसे इसका सूत्रधार बता रही है उसे एनएसए लगाकर जोधपुर की जेल भेज दिया गया है जबकि उसका बयान है कि वह जितना बाहर खतरनाक था उससे कहीं ज्यादा जेल में खतरनाक साबित होगा. इस सरकार के साथ न जाने क्या दिक्कत है कि इसे प्रो एक्टिव होने से दिक्कत है. इस सुस्ती को भी मास्टर स्ट्रोक बताए जाने के रास्ते भले खोज लिए जाते हों लेकिन हकीकत यही है कि इस सरकार को आग लग जाने के बाद फायरब्रिगेड लेकर भागते ही देखा गया है. अब सोनम वांगचुक के लिए बताया जा रहा है कि कांग्रेस सरकार ने 2007 में ही उनकी विदेशी फंडिंग और कनेक्शंस पर सवाल उठाए थे. यदि यह सच है तो सरकार को यह बताना पड़ेगा कि जिस आदमी पर देशद्रोही होने के आरोप आप आज लगा रहे हैं उसे क्या लद्दाख सुलगाने के लिए खुला छोड़ रखा गया था. अब सरकार हजार बातें बता रही है कि उनकी फंडिंग से लेकर पाकिस्तान और चीनी कनेक्शन तक में वे दोषी हैं लेकिन सवाल फिर वही कि सरकार प्रो एक्टिव क्यों नहीं थी. जिस आदमी को केंद्र में रखकर एक सुपरहिट फिल्म बना दी गई हो, जो पूरे देश में सेलिब्रिटी वक्ता के तौर पर जाता हो और लगातार लोगों को अपनी बातों से प्रभावित करता हो वह यदि विदेशी ताकतों के हाथों में खेल रहा था तो उसे रोकने की जिम्मेदारी किसकी थी. इस सरकार को आपने किसी मुद्दे पर त्वरित कार्रवाई करते देखा हो तो याद दिलाइये.

कथित किसान आंदोलन में बात इतनी बिगड़ी की दिल्ली बॉर्डर दिनों हफ्तों नहीं बल्कि महीनों और साल से ज्यादा हलकान रही. सरकार इसे मास्टरस्ट्रोक बताती है कि लोग तो चाहते थे कुछ गोलियां चल जाएं और वे अराजकता फैला दें लेकिन हमने ऐसा नहीं होने दिया. जबकि सरकार का काम यह था कि वह न तो लोगों को परेशान होने दे और न शांति व्यवस्था बिगड़ने दे. इस सरकार की कार्यशैली की यह सबसे अजीब सी स्थिति है जहां वह हर बार बाद में प्रकट होकर बताती है कि ये तो गड़बड़ी फैलाने वाले लोग हैं. राहुल गांधी की नागरिकता पर सवाल हैं, मामला कोर्ट में है लेकिन सरकार जानबूझकर इस मामले में सुस्ती बनाए हुए है जबकि यह बात साफ होना जरुरी है कि कोई विदेशी नागरिक तो सांसद नहीं बना बैठा है और यदि ऐसा नहीं है तो भी यह साफ होना चाहिए कि अब तक गले आरोप झूठे हैं. सरकार को एक तरफ होने में नुकसान नजर आता है इसलिए उसने सुस्ती का रास्ता चुना है. तरुण गोगोई को पाकिस्तानियों से कनेक्शन में बताया जाता है लेकिन उनके मामले में भी भाजपाई सांसद जरुर बोलते हैं लेकिन मजाल है कि सरकार अपनी तरफ से कुछ बोले, कार्रवाई करना तो बहुत दूर की बात है. वापस लेह लद्दाख पर आएं तो प्रदर्शन के भड़की हिंसा में 4 युवा मारे गए और 80 घायलों में 40 पुलिसकर्मी शामिल हैं. समझिए मामला कितना बढ़ गया और यह तब जबकि लंबे समय से सरकार के पास खबरें हैं कि सोनम फंडिंग ले लेकर अशांति फैलाने की कोशिश में हैं. सरकार इस तरह से सामने आती है जैसे हम क्या कर सकते थे जबकि सरकार को इस तरह सामने आना चाहिए कि ये देखिए हमने इस एजेंट को इतने पारदर्शी तरीके से देश के सामने एक्सपोज कर दिया. यदि आप लद्दाख की हिंसा के बाद किसी सोनम को पकड़ेंगे तो यह सवाल उठेगा ही कि इतने अरसे तक इतनी गड़बड़ियां कर रहे और विदेशों से पैसा जुटा रहे व्यक्ति को आप किसी स्तर पर रोक क्यों नही पा रहे थे और इस नाकाम को आप अपने गले से उतार नहीं सकते.