Kashmir घटना और इको सिस्टम का सक्रिय हो जाना
28 लोगों की हत्या को भी कमजर साबित करने वाले इको सिस्टम देखिए और बचिए
दिन में तीन बजे के आसपास पहलगाम में यह दौर शुरु हुआ कि कुछ बंदूधारियों ने आकर लोगों से नाम पूछे, धर्म जाना और जो जो विधर्मी लगा या जिसका खतना नहीं था उन्हें गोली मार कर खत्म कर दिया गया, मारे जाने वाले की पत्नी को यह कहते हुए कि जाकर मोदी को बोल देना. लगभग आधे घंटे का समय उस जगह पहुंचने में सेना को लगता है और तब जाकर बात दुनिया के सामने आती है लेकिन इस बीच इको सिस्टम के पास पूरी खबर पहुंच चुकी होती है. मोमबत्तियां खरीदी जाती हैं और भाईचारे का नाम पर शाम को ही इन्हें जलाकर चार छह बार ‘शेम शेम’ भी चिल्ला लिया जाता है. पीछे खड़े कुछ लोग अपनी खुशी छुपा नहीं पाते हैं और हंसते हंसते दुख जाहिर करते हैं. सोशल मीडिया पर जैसे ही यह बात चलती है कि धर्म पूछकर गोली चलाई गईं तो तुरंत इस बात का खंडन करने वालों की जमात आ खड़ी होती है कि ना जी, कतई ऐसा नहीं हुआ. ऐसे तो सैकड़ों में मिल जाएंगे जिन्होंने इस खबर के नीचे लॉफिंग वाला इमेाजी दिया हो. कुछ सज्जन और सज्जनियां कह रही हैं कि आतंकियों ने तो बड़े समदर्शी भाव से गोलियां चलाईं और जो जो चपेट में आ गया वह जन्नतनशीन हो गया. जो हत्या करने वाले हैं उनके लिए यह पता करने वाली टीम काम कर ही रही होगी कि कौन गरीब मास्टर का बेटा है और कौन पाकिस्तान के बंटवारे के समय ‘भारत से प्यार’ के चलते यहां से न जाने वाला परिवार है. यह बताने वाले तो आगे आ ही गए हैं कि आतंकियों का कोई धर्म नहीं होता और विदेशी मीडिया को यह बताने वालों की भी कमी नहीं है जो आतंकियों को गनमैन, नाम पूछकर मारे गए हिंदुओं को विजिटर और इस पूरी घटना को अटैक बताकर बरी करने पर उतारु हैं. जिन्हें घटना पर, धर्म पूछकर गोली मारने पर, घटना की टाइमिंग पर, जेडी वेंस के भारत में होते ही हमला होने पर, ऐसी जलगह हमला होने पर जहां सुरक्षा पूरी नहीं थी, आतंकियों के गोली चलाकर स्थानीय नागरिकों के साथ घुल मिल जाने पर और उमर अब्दुल्ला के सांसद के पर्यटन से सांस्कृतिक हमले के बयान में कोई जुड़ाव नजर नहीं आता उनको एक बार तो इन कड़ियों को समझने की कोशिश करना ही चाहिए, हां, उन्हें छोड़ दें जिन्हें पता तो सब है लेकिन जिन्हें किसी की जान जाने से भी ज्यादा अपना एजेंडा प्यारा है.
पहलगाम में आतंकियों द्वारा की गई 28 लोगों की हत्या पर जिम्मेदारी लेने वाला संगठन मूल रुप से लश्कर ए तैयबा ही है. अब्दुल्ला परिवार हमेशा से शंकाओं के घेरे में रहा है और लंबे समय तक राज्य में राज करने वाले अब्दुल्ला से लेकर मुफ्ती तक, सभी का झुकाव ऐसी विचारधारा के प्रति रहा है. धारा 370 को लेकर तो मुफ्ती यहां तक कह चुकी थीं कि यदि इसे हटा दिया गया तो कोई तिरंगा उठाने वाला तक नहीं मिलेगा.