August 6, 2025
देश दुनिया

Kashmir उमर बोले, जीते तो पहला प्रस्ताव 370 के खिलाफ

कश्मीर में विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीति उबाल पर है. उमरअब्दुल्ला का कहना है कि वे सत्ता में आए तो सबसे पहला आदेश 370 के खिलाफ पाारित करेंगे. जम्मू कश्मीर में धारा-370 और 35-ए हटने के बाद पहली बार 18 एवं 25 सितंबर और 1 अक्टूबर को मतदान होना है. 4 अक्टूबर को जो नतीजे आने हैं वे बताएंगे कि घाटी क्या सोच रही है. 10 साल बाद होने जा रहे चुनाव कांग्रेस समेत कश्मीर के दो राजनैतिक परिवार का भी भविष्य तय करने वाले हैं.पर्यटन से मिले रोजगार और बढ़ती अर्थव्यवस्था ने आतंकी सोच वालों को उनकी जगह बताई है. भूख और अराजकता से लड़ रहा पाकिस्तान भारत से छायायुद्ध लड़ने से बाज नहीं आ रहा है. जिसका जवाब जम्मू-कश्मीर के 87.09 लाख मतदाताओं को देना है. पुनर्गठन विधेयक-2019 लागू होने के बाद इस राज्य का राजनीति और भूगोल दोनों बदल गए है और इससे 7 विधानसभा सीटों की बढ़ोत्तरी के अलावा एससी एसटी के लिए आरक्षण भी लागू हुआ. जम्मू-कश्मीर की 114 सीटों में से 90 पर चुनाव होंगे. इनमें 43 सीटें जम्मू, 47 सीटें कश्मीर की हैं. 24 सीटें पाक अधिकृत जम्मू-कश्मीर की हैं. जिन पर चुनाव नहीं होना है, इनमें से 16 सीटें अनुसूचित जाति और जनजातियों के लिए आरक्षित हैं. पांच सदस्य उप राज्यपाल मनोनीत करेंगे जिनमें दो कश्मीरी प्रवासी यानी कश्मीरी पंडित होंगे. एक गुलाम कश्मीर से विस्थापित व्यक्ति को मनोनीत किया जाएगा. दो सदस्य महिलाएं मनोनीत होंगी. एक कश्मीर प्रवासी भी मनोनती श्रेणी में होना तय है.
कुछ क्षेत्रों में 11 प्रतिशत तक भागीदारी वाले गुर्जर बक्करवाल और गद्दी जनजाति की भागीदारी भी तय होगी. 1995 के बाद पहली बार परिसीमन हुआ तो समावेशी नजारिए की राह खुली.अब तक जम्मू के 25.93 फीसदी क्षेत्र में विधानसभा की 37 सीटें आती थीं.वहीं कश्मीर घाटी से कुल 46 विधायक चुने जाते थे जबकि इसका क्षेत्रफल जम्मू से कम है. जम्मू-कश्मीर का करीब 60
लद्दाख से तो विधानसभा की मात्र चार सीटें थीं, इसलिए इन पर ज्यादा ध्यान ही नहीं दिया जाता था और इसके चलते एक बड़ा भूभाग वंचित था लेकिन अब हालात बदले हैं.अब चार अक्टूबर को आने वाले नतीजे ही बताएंगे कि नए परिसीमन, नए कायदों और नए परिदृश्य में घाटी किस दिशा में सोच रही है और किस तरह का नेतृत्व अपने लिए पसंद करती है.