June 21, 2025
देश दुनिया

Hawan किया, नाम बदला और हो गई घर वापसी

मंत्रोच्चार के साथ शुद्धिकरण फिर खजराना गणेश मंदिर में किए दर्शन

इंदौर में दो महीने के अंतराल में यह दूसरी बार था जब लगभग 30 मुस्लिम लोगों ने हिंदू धर्म में संयुक्त वापसी की. विश्व हिंदू परिषद की धर्म प्रसार इकाई के प्रांत प्रमुख संतोष शर्मा और साझा संस्कृति मंच ने यह पूरा आयोजन रचा. साझा संस्कृति मंच की ओर से कहा गया है कि मध्यप्रदेश धर्म स्वतंत्रत अधिनियम के प्रावधानों के तहत इन लोगों ने घर वापसी की है और यह भी दावा किया गया है कि इन सभी ने कलेक्टर के पास इस संदर्भ में अपने शपथपत्र भी दिए हैं. इस बारे में जानकारी देते हुए सैम पावरी ने बताया कि भारत भूमि पर रहने वाले सभी लोग सनातनी हैं, आतताइयों के आक्रमण के समय लाखों की संख्या में जबरिया मुस्लिम धर्म को थाेपा गया था और अब वे ही लोग घर वापसी यानी हिंदू धर्म में फिर आ रहे हैं. इसी कड़ी में धार, देवास व इंदौर के 30 से ज्यादा मुस्लिम लोगों ने हिंदू धर्म फिर अपना लिया. आयोजन में प्रमुख रूप से पूर्व राज्य मंत्री सेम पावरी , संतोष शर्मा विश्व हिंदू परिषद प्रशासनिक प्रमुख, खगेंद्र भार्गव प्रांत प्रचारक, विभाग प्रचारक अभिषेक मौजूद रहे. मंत्रोचार के साथ पहले शुद्धिकरण पूजन और हवन किया गया व सभी घर वापसी करने वालों ने खजराना गणेश मंदिर में दर्शन कर आशीर्वाद लिया.

जिन्होंने मुस्लिम पहचान बदलकर की घर वापसी उनके नाम इस प्रकार बताए गए हैं.
1 – नीलोफर शेख से निकिता
2 – अक्षां शेख से आकांशा
3 – रजाक सय्यद से रोहित
4 – अंजुम शाह से आरती
5 – अबरार से अभिषेक
6 – मुबारिक से मनीष
7 – जमीला बी से जमना बाई
9 – रहमान से हीरालाल
10 – रइस से राजू
11 – रईस खान से अर्पित
13- सुरया बी से पूजा
14 – मेहरून बी से ममता
15 – कालू खा से करुलाल
16 – रुक्मणि से रुककया
17 – जरीना बी से जानवी
18- जाकिर से राहुल
19 रजिया से रानी
20 – शमीम शाह से शानू आदि

इनमें कुछ लोग ऐसे भी हैं जिन्होंने सुरक्षा कारणों से नाम सार्वजनिक करना पसंद नहीं किया.

मुस्लिम महिलाओं की कावड़ यात्रा से पहचान बनी साझा संस्कृति मंच की

इस कार्यक्रम की रुपरेखा बनाने वाले साझा संस्कृति मंच की पहचान ही ऐसे कामों की वजह से बनी है. सबसे पहले यह संस्था तब चर्चा में आई जब श्रावण मास में मुस्लिम महिलाओं की बड़ी संख्या संस्था के तत्वाधान में कावड़ यात्रा में शामिल हुई थीं. कोरोना काल से पहले किए गए इस आयोजन में कई धर्मगुरुओं ने भी शिरकत की थी और यह आयोजन दो साल चला था. इस संस्था के मुखिया सैम पावरी स्वयं पारसी हैं और इसी नाते वे राज्य अल्पसंख्यक आयोग के सदस्य रहकर राज्यमंत्री दर्जा भी प्राप्त कर चुके हैं. कावड़ यात्रा के दौरान भी उनकी संस्था राष्ट्रीय मीडिया की खबरों में रही थी और कुछ ने उनकी मंशा पर सवाल भी उठाए थे. अब जब इस तरह के आयोजन नियमित अंतराल पर किए जा रहे हैं तो फिर उसी तरह के सवाल उठने लगे हैं और यह भी कि जिन्होंने कथित घर वापसी की है उनकी सुरक्षा को लेकर क्या इंतजाम होंगे.