Emergency पर बचती कांग्रेस और संविधान लेकर घूमते राहुल
’25 जून यानी भारत के लोकतंत्र पर लगे एक कलंक के 50 वर्ष पूरे हो रहे हैं.’ यह कहकर प्रधानमंत्री ने इंडी गठबंधन को संविधान की कथित लड़ाई के मामले में पीछे धकेलने का प्रयास तो किया है लेकिन कांग्रेस है कि इसे पचास साल पुरानी बात कहकर इमरजेंसी को ही छोटी बात साबित करने की कोशिश करती दिख रही है. जबकि यह हकीकत है कि भारत की एक पीढ़ी यह बात कभी नहीं भूलेगी कि भारत के संविधान को एक समय पर पूरी तरह से नकार दिया गया था, संविधान के हर हिस्से की धज्जियां उड़ा दी गई थीं, देश को जेलखाना बना दिया गया था, लोकतंत्र को पूरी तरह दबा दिया गया था. आज कांग्रेस बार बार अपनी स्थापना और महात्मा गांधी से इसके जुड्ाव रहने को तो गर्व से बताती है लेकन इमरजेंसी की बात आते ही उसे पचास साल पुराना बताकर बचने की कोशिश बेहद बचकाना लगती है. बल्कि होना तो यह चाहिए कि कांग्रेस हर साल इस दिन यानी 25 जून को उपवास करते हुए साफ कहे कि हमसे जो एक ऐतिहासिक और सवंधान से खिलाफ बड़ी गलती हुई है हम उसके लिए क्षमाप्रार्थी हैं. ऐसा करने से कांग्रेस का कद कम होने के बजाए बढ़ेगा ही लेकिन ऐसी भोली उम्मीद करना आज के कांग्रेस संस्कृति से तो बेमानी ही है जबकि महात्मा गांधी ने अपनी कई भूलें न सिर्फ मानीं बल्कि उनके लिए पश्चाताप स्वरुप उपवास भी किए. कल संविधान की प्रतियां ले लेकर इंडी गठबंधन के कई सदस्य यह बताते दिखे कि वे इसके प्रति कितने समर्पित हैं और राहुल ने भी अजीब अंदाज में मोदी को संविधान की प्रति दिखाते हुए यही जताने की कोशिश की लेकिन जब मोदी ने इमरजेंसी की बात की तो उसके पचास साल पुराने होने की बात कहकर कांग्रेस अध्यक्ष बचते हुए नजर आए. बस यहीं आकर आपके साहस का इम्तिहान आपको शून्य दे जाता है.