Electoral Bonds का सिस्टम क्या और क्यों लाया गया
चुनावी बॉन्ड भारत में राजनीतिक चंदे को साफ सुथरा बनाने की एक पहल बतौर लाया गया उठाया गया कदम था, चूंकि सुप्रीम कोर्ट ने इससे इंकार कर दिया है इसलिए हम इन्हें था कह रहे हैं, इसमें राजनीतिक पार्टियों को फंडिंग के पुराने तरीकों को छोड़कर चुनावी बॉन्ड जारी किए जाने की योजना रखी गई, बाॅण्ड (बीयरर) वाहक ऋणपत्र होते हैं. इस योजना का लक्ष्य राजनीति में काले धन के प्रभाव को कम करने का था. 2017 के बजट में चुनावी बॉन्ड योजना की घोषणा की गई थी और इन्हें 2018 में जारी करना शुरु किया गया था. चुनावी बॉन्ड जाराजनीतिक दलों को दान देने के लिए उपयोग किए जाने वाली प्रतिभूतियां की तरह इस्तेमाल करने के लिए थे या दूसरे शब्दों में ये बॉन्ड प्रॉमिसरी नोटों के समान हैं, जहां जारीकर्ता (बैंक) संरक्षक होता है और बॉन्डधारक (राजनीतिक दल) को भुगतान करता है. बीयरर होने के चलते इन पर स्वामित्व की जानकारी नहीं होती है, इस तरह ये जिनके पास हों वह धारक ही इनका मालिक होता है. लेने वाले को केवायसी वाले खाते ही इन्हें लेना होता है लेकिन दानकर्ता का नाम और अन्य विवरण या जानकारी इन बॉण्ड्स पर नहीं होती है, और इस प्रकार चुनावी बॉन्ड गुमनाम होते हैं. चुनावी बॉन्ड राजनीतिक दलों को दान करने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला एक वित्तीय उपकरण है. इसमें आम जनता भी राजनीतिक दलों को धन देने के लिए चुनावी बॉन्ड इन्हें ले सकती है। चुनावी बॉन्ड हासिल करने के लिए राजनीतिक दल को जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 29A के तहत पंजीकृत होना जरुरी है. इस तरह चुनावी बॉन्ड बैंक नोटों के समान भूमिका निभाते हैं, जो धारक मांग पर देय होते हैं. कोई भी व्यक्तिगत पार्टी इन बांडों को डिजिटल रूप से या डिमांड ड्राफ्ट या चेक के माध्यम से खरीद सकती है. चुनावी बॉन्ड भारत में राजनीतिक चंदे में पारदर्शिता लाने के लिए लाए गए थे. औपचारिक बैंकिंग चैनलों के माध्यम से दान लेने के लिए राजनीतिक दलों को पारदर्शिता जरुरी होता है. इसलिए इनका विधिवत लेखा-परीक्षा किया जाता है. दानदाताओं की पहचान भी साफ नहीं होती है और गोपनीय रहती है, जिससे उनके राजनीतिक affiliation (संबद्धता) के लिए डर या प्रतिशोध के जोखिम को कम किया जाता है. चुनावी बॉन्ड लाने के पीछे की अवधारणा राजनीति में काले धन को कम करना और व्यक्तियों और संस्थाओं को राजनीतिक दलों को योगदान करने के लिए एक पारदर्शी और कानूनी व्यवस्था प्रदान करना था. बांड दाता गुमनामी बनाए रखते हुए पंजीकृत राजनीतिक दलों को दान करने का एक साधन के रूप में कार्य करते हैं.