June 21, 2025
देश दुनिया

DoPT की ही गलती उन्हीं के पास ट्रेनी आईएएस की जांच

Trainee IAS ने खुद को दिव्यांग और OBC बताया क्रीमीलेयर नहीं बताया
ट्रेनी आईएएस पूजा खेड़कर की बेजा मांगों को लेकर, उसकी हरकतों को लेकर्र झूठ सच करते हुए सबसे बढ़िया नौकरी पा लेने को लेकर आप उस पर नाराज भले हों लेकिन सच यह है कि उसके एक मामले से यह पता करना आसान हो गया है कि आईएएस सिलेक्शन की प्रक्रियार भी फूलप्रूफ नहीं है और उसमें गड़बड़ की भरपूर मात्रा में गुंजाइश है. आप कौन सा सर्टिफिकेट दे रहे हैं, वह सच है या नहीं, यहां तक कि आप विकलांग हैं या नहीं, इस बात तक पर कोई ध्यान नहीं देगा यदि ‘पूरी कायनात’ आपको आईएएस बनवानो में लगी हुई है. अब जब एक आईएएस ने ही यह बात लोगों के सामने तक पहुंचाई कि बिना पात्रता के भी पूजा बीकन वाली गाड़ी मांग रही थी, बेजा मांगें करते हुए कलेक्टर जैसा दफ्तर मांग रही थी तो परतें उधड़ना शुरु हुईं और अब तक इतना मसाला तो हो ही गया है कि पूजा के मां और बाप पर एफआईआ हो चुकी है, उनके पुणे वाले बंगले में निगम को अतिक्रमण नजर आ गया है और पूजा के सर्टिफिकेट्स की जांच करने के लिए भी ‘एक सदस्यीय समिति’ बना दी गई है. वैसे यह भी जानना रोचक होगा कि समिति के जो इकलौते सदस्य हैं वे उसी डीओपीटी डिपार्टमेंट के हैं जिसे देख परखकर पूजा के बारे में फैसला करना था कि 800 से भी नीचे की रैंकिंग पर उसे क्यों कलेक्टरी देनी ही है. ट्रेनी तो इतना सोच भी नहीं सकती थी कि उसे अपने सीनियर और पुणे जैसे जिले के कलेक्टर पर दबाव कैसे बनाना है लेकिन यदि पापा भी इसी नौकरी से रिटायर हुए हों तो वे गाइड कर सकते हैं कि कैसे करोउ़पति होते हुए भी ओबीसी सर्टिफिकेट का लाभ उठाया जा सकता है, कैसे जमीनों पर कब्जा कर लोगों को तमंचे से डराया जा सकता है, कैसे कलेक्टर से बेजा मांगें की जा सकती हैं, कैसे डीएसपी लेवल के अफसर से भी चोरी के अपराधी को छोड़ने की सिफारिश की जा सकती है, कैसे ट्रेनी होकर भी ऑडी जैसी गाड़ी पर महाराष्ट्र सरकार लिखवा कर लोगों को चमकाया जा सकता है और कैसे गाड़ी पर लाल नीली बत्ती लगाकर घूमा जा सकता है भले ही आपको उसका अधिकार ही न हो. आपको लगता नहीं कि इस मामले में पहले दिन से दबी दबी सी आवाजें आ रही हैं? मामले को छोटे से छोटा कर पेश किया जा रहा है ताकि वहां तक बात पहुंचे ही नहीरं जहां तक पहुंचना चाहिए. एक आईएएस पिता की लगभग आईएएस हो चुकी बेटी की जांच एक वो आईएएस करें जिनके विभाग की गलती तो पहले ही सार्वजनिक हो चुकी है. आप ऐसे मामलों में किसी धमाकेदार रिपोर्ट की उम्मीद लगाए बैठे हों तो यह सिवा नादानी के कुछ नहीं है. पप्पा दिलीप खेड़्कर अपनी बेटी की कोई बात गलत नहीं लग रही क्योंकि यही सब तो वो देखते आ रहे थे, पूरी आईएएस की नौकरी यह देखते हुए की कि आईएएस का कोई कदम कभी गलत हो ही नहीं सकता और अपने बच्चों के लिए साथी आईएएस लॉबी के बीच लॉबीइंग करने में भी गलत जैसा तो कुछ नहीं है, अब डीओपीटी के एडिशनल सेक्रेटरी भी तो आईएएस ही हैं, सरकार कहती है कि मनोज द्विवेदी बिलकुल सही रिपोर्ट देंगे तो यही तो दिलीप खेड़कर भी कह रहे हैं कि एक आईएएस दूसरे आईएएस को लेकर ही नहीं किसी को भी लेकर गलत रिपोर्ट दे ही नहीं सकता, उसका लिखा अंतिम सत्य है. वे युवा जो छोटी छोटे शहरों में कलेक्टर साहब बनने का सपना देखते हैं उन्हें यह पता होना चाहिए कि एक आईएएस के बच्चे का पहला हक है आईएएस बनना] अखबारी खबरों के लिए यह बहुत अच्छा लगता हे कि एक दो कलेक्टर ऐसे भी बन जाएं जो कभी कुलीगिरी करते रहे हों या रिक्श चलाकर पेट भरने वाले परिवार के हों लेकिन ये अपवाद बतौर ही अच्छे लगते हैं बाकी तो यह हक उन्हीं का है जिनके पिता जिले के कलेक्टर दफ्तर से लेकर पीएमओ तक में अपने किसी भी साथी से कह सकें कि यासर जरा बच्चे का मामला देख लेना. पूजा खेड़कर ने मानसिक और शारीरिक तौर पर दिव्यांग होने का प्रमाण पत्र दियार लेकिन जब जांच के लिए बुलाया गया तो पांच बार तो गई ही नहीं और छठीबार में बीच जांच से भाग गई, फिर भी उसे डीओपीटी ने चुन लिया, वजह? वजह अब डीओपीटी के एडिशनल सेक्रेटरी जांच कर सरकार के सामने रख देंगे. NEET को लेकर पूरी दुनियाय में हंगामा मचा देने वाले भी इस मामले में चुप हैं क्योंकि पता ही नहीं चलता किसकी पूंछ पर कौन पैर रखकर बैठा हैं. बात बहुत ज्यादा खुल गई है तो संभव है कि रिवाल्वर लहराती पूजा की माता जी कुछ दिन सलाखों के पीछे चली जाएं, पिताजी भी 323, 504 और 506 और आर्म्स एक्ट लगने के बाद थोड़े तेवर धीमे कर लें और बहुत ही ज्यादा हुआ तो पूजा जी पर बड़ी जांच हो जाए लेकिन यकीन मानिए यह सब ऊपरी इलाज होगा, स्किन डीप जाने की हिम्मत पहले तो इसीलिए नहीं हो सकती थी क्योंकि दिलीप बाबू भी आईएएस लॉबी का ही बड़ा चलता पुर्जा रहे हें और फिर करेला-नीहमचढा यह कि अब वो नेताजी भी हो गए हैं भले चुनाव में हार गए हों. सिस्टम पर ऐसी पकउ़ वाले पिताओं की परियां यदि अपनी ऑडी पर बीकन और महाराष्ट्र सरकार का इस्तेमाल नहीं करेंगी तो क्या आप और हम करेंगे?