Delhi CM ही नहीं शीशमहल का भी सवाल
दिल्ली सीएम के चयन ही नहीं हरियाणा चुनाव को भी ध्यान में रख रहे केजरीवाल
आधा साल शराब घोटाले के मामले में जेल में गुजार चुकने के बाद भी केजरीवाल ने इस्तीफा नहीं दिया था लेकिन सशर्त जमानत के तुरंत बाद उन्होंने इस्तीफा देने की बात कह कर दिल्ली की राजनीति का पारा चढ़ा दिया. इसमें सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या वाकई केजरीवाल मुयमंत्री पद छोड़ देंगे या वे इस्तीफा देकर कार्यवाहक बने रहेंगे, यदि वे वाकई पद छोड़ते हैं तो सवाल यह कि उनकी गद्दी कौन संभालेगा.
चूंकि आम आदमी पार्टी में यह गद्दी जैसा ही मामला है कि जिसे केजरीवाल चुनेंगे वही आगे बढ़ सकेगा. कार्यवाहक कने रहने में पेंच यह है कि उन्हें कार्यवाहक बनाए रखना या न रखना पूरी तरह उपराज्यपाल के अधिकार क्षेत्र की बात हो जाएगी. आम आदमी पार्टी इसी बात पर विमर्श कर रही है कि इस्तीफे के बाद क्या हालात हो सकते हैं और उनमें क्या रणनीति अपनाई जाए. चूंकि भाजपा इस बात को बड़ा मुद्दा बना रही थी कि जेल में होने के बाद केजरीवाल पद नहीं छोड़ रहे हैं ताे दिल्ली के काम रुक रहे हैं और अब फिर अदालत ने मुख्यमंत्री को काम करने से रोक ही दिया है.
ऐसे में केजरीवाल का इस्तीफा दांव बेहतर साबित हो सकता है लेकिन जो नाम अभी सीएम बनने की होड़ में हैं उनसे केजरीवाल को आगे जाकर खतरा हो सकता है इसलिए पहली पसंद बतौर सुनीता केजरीवाल ही हो सकती हैं, यूं भी केजरीवाल अपना शीशमहल छोड़ने को तैयार नहीं होंगे और ऐसे में सुनीता केजरीवाल के सीएम बनने से करोड़ों के खर्च से सजाया गया शीशमहल उनके पास ही रह जाने वाला गणित भी वे समझ रहे हैं. केजरीवाल मांग कर चुके हैं कि दिल्ली में नवंबर में चुनाव कराए जाएं लेकिन यह संभव नहीं है इसलिए चुनाव तक किसके नेतृत्व में दिल्ली रहे यह बड़ा सवाल रहेगा. दूसरी तरफ भाजपा और केंद्र की इस सबमें अपनी भूमिका होगी. केजरीवाल के इस्तीफे के बाद बात इतनी आसान नहीं होगी कि उनकी जगह कोई और सीएम बन जाए और यदि उपराज्यपाल विधानसभा भंग कर देने की घोषणा कर दें तो समीकरण एकदम बदल भी सकते हैं.