CSDS के संजय कुमार के झूठ को लेकर हुई एफआईआर
‘वोट चोरी’ मामला उठाने में कांग्रेस ने इसी डाटा को उपयोग किया था
कांग्रेस की पहल पर इंडी गठबंधन ने ‘वोट चोरी’ के आरोप को जोर शोर से उठाते हुए संसद से लेकर सड़कों तक पर हंगामा मचाया लेकिन अब वह डाटा ही झूठा साबित हो गया है जिस पर ये आरोप लगाए गए थे. जिस सीएसडीएस के महाराष्ट्र चुनावों वाले डाटा पर यह हंगामा खड़ा किया गया उस सीएसडीएस के संजय कुमार ने सोशल मीडिया पर कहा है कि उन्होंने गलती से दो डाटा मिला दिए थे जिसके चलते इसके सभी आंकड़े गलत हो गए हैं. अब संजय कुमार मुश्किल में हें क्योंकि उन पर एफआईआर भी हो गई है. Centre for the Study of Developing Societies के कथित विश्लेषक संजय कुमार ने गलत डाटा का ही उपयोग नहीं किया बल्कि यह सब विदेशी फंडिंग के दबाव में किया गया यह बात भी सामने आ गई है.
संजय कुमार अब खुद को साफ सुथरा बताने की कोशिश करते हुए कह रहे हैं कि हमारा डाटा तो सिर्फ हमारे काम के लिए था और इसका कोई राजनीतिक उपयोग हो गया तो इसके बारे में वे जानें लेकिन सच यह है कि संजय लंबे समय से कांग्रेस और विदेशी फंडिंग के हिसाब से काम करते रहे हैं और इसे फंड करने वालों में फोर्ड फाउंडेशन तक शामिल रहा है. इंडी गठबंधन के कई सांसदों ने इस मुद्दे को लेकर जगह जगह प्रदर्शन भी कर डाले और अब भी वे इस मुद्दे को छोड़ने को तैयार नहीं हैं लेकिन सीएसडीएस ने अपने पुराने ट्रवीट्स डिलीट कर डाले हैं जिसमें उन्होंने चुनाव आयोग को झूठा बताने की कोशिश की थी. एसआईआर पर विपक्ष का आरोप है कि बिहार में मतदाताओं को मताधिकार से दूर रखने की साजिश है. राहुल की प्रेस कांफ्रेंस में जो तथ्य रखे गए थे उनमें भी काफी बड़ा हिस्सा सीएसडीएस के आंकड़ों का ही था. मतदाता सूची में असंगतियों और नामों की पुनरावृत्ति को ‘वोट चोरी’ का प्रमाण बताते हुए चुनाव आयोग पर सीधा हमला किया.
ऐसे में मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार का राहुल को दिया गया अल्टीमेटम जरुर चर्चा का विषय है जिसमें उन्होंने वोट चोरी के आरोपों पर या तो हस्ताक्षरित हलफनामा देने या देश से माफी मांगने की बात कही गई है. इस बीच कांग्रेस ने मुख्य चुनाव आयुक्त पर हमले हमले और तीखे करते हुए उन पर महाभियोग की संभावना पर बात तो शुरु कर ही दी है साथ ही ज्ञानेश कुमार के परिवार को भी भाजपा परिवार बताते हुए उनकी बेटियों और दामाद को भी भाजपा का कृपापात्र बताया गया.