Conversion का षड्यंत्र और बीसियों सालों से बेखबर पुलिस
फेरीवाला रहा छांगुर करोड़ों का लेन देन करने वाला बन गया और सिस्टम को पता ही नहीं चला
उत्तर प्रदेश के बलरामपुर में हिंदुओं के धर्मांतरण का जो तंत्र सामने आया है उसमे छांगुर उर्फ जिंदा पीर कर्क जलालुद्दीन ही नहीं है बल्कि एक ऐसा सुनियोजित षडयंत्र है जिसमें बाकायदा किसी कंपनी की तरह जिम्मेदारियां और तनख्वाहें तक तय हैं. एक फेरी लगाते अंगूठी, नग, माला बेचने वाले छांगुर के 500 करोड़ से ज्यादा का साम्राज्य खड़ा कर लेने की कहानी में विदेशों तक का उसका नेटवर्क भी सोचने पर मजबूर करता है और ग्रासरूट लेवल यानी लड़कियों को फंसाने के लिए तैयार किए गए गली कस्बे के लड़कों तक का जो जाल उसने बुना वह भी हमें चेतावनी देने के लिए काफी है. तीन दर्जन बैंक खातों में आ रहा देश विदेश का पैसा आना बता रहा है कि बात इतनी सीधी है जितनी कि पहली नजर में लग रही थी.
अब बलरामपुर के मधुपुर गांव के छांगुर की जानकारी एटीएस से लेकर पुलिस तक और ईडी से लेकर मीडिया तक सभी कर रहे हैं लेकिन अब तक उसका चुपचाप इतने गंभीर कामों को अंजाम देना बताता है कि सिस्टम में गड़बड़ी ही नहीं बड़े पैमाने पर गड़बड़ी है. पुलिस का पहला अंदाजा था कि वह शायद 1500 हिंदुओं का धर्म परिवर्तन करा चुका हे लेकिन अब माना जा रहा है कि यह संख्या कई गुना ज्यादा तक हो सकती है. फेरी वाले छांगुर ने लंबी चौड़ी जमीन पर 70 कमरे का आलीशान मकान बना डाला था जिसे तोड़ने में आठ बुलडोजरों को आधा हफ्ता लग गया. दो बार उसकी पत्नी प्रधानी भी जीत गईलेकिन किसी को कानोकान खबर ही नहीं हुई कि वो किस तरह का नेटवर्क चलाता है. दो लोगों के दस्तवेज मे पता चला है कि उन्हें दुबई ले जाकर मुस्लिम बनाया गया. हिंदू युवतियों को योजनाबद्ध अभियान चलाने वाले छांगुर ने अपने कमांडो तैयार कर लिए, लड़कियों को फांसने के लिए रेटकार्ड जारी कर दिए लेकिन महारी पुलिस और प्रशासन ने शिकायतकर्ताओं की आवाजें न सुनने की कसम खा रखी थी. जिसने पुलिस में छांगुर की शिकायत की उसी पर हत्या के प्रयास का मुकदमा कर दिया गया. अब छांगुर के कारनामे खुल रहे हैं लेकिन उन लड़कियों का क्या जिनका जीवन इसने बर्बाद कर दिया और उन लोगों का क्या जिन्होंने समय पर आवाज उठाने की कोशिश की तो उन्हें ही अपराधी बना दिया गया.