June 22, 2025
देश दुनिया

Congress ने पूछा ईरान लंबे समय से दोस्त, साथ क्यों नहीं दिया

सोनिया और प्रियंका की एक सुर में बातें सामने आईं

सोनिया गांधी के बारे में कल तक खबरें थीं कि उनका गेस्ट्रो विभाग में ईलाज होने के बाद वो आराम फरमा रही हैं लेकिन पिछले दिनों अचानक ‘द हिंदू’ अखबार में उनका एक लेख आया है जिसमें वो अपनी तबियत की चिंता छोड़कर इस बात की चिंता में लगी हैं कि भारत ने ईरान का साथ क्यों नहीं दिया. उन्होंने ईरान और इजराइल (अब तो सीधे अमेरिका भी) युद्ध के बीच में ‘दिल्ली’ की चुप्पी पर अचरज जताते हुए कहा है कि ईरान भारत के बीच दोस्ती काफी पुरानी है और ईरान पश्चिमी देशों व इजराइल की आक्रामकता का शिकार हो रहा है.

भारत के इस मामले में तटस्थ रहने की आलोचना करते हुए उन्होंने यह भी कहा है कि खोमैनी के नेतृत्व वाले इस देश ने हमारी मदद की है. ठीक यही बात उनकी बेटी और वायनाड सांसद प्रियंका वाड्रा ने भी अपने सोशल मीडिया पर शेयर की है. मजे की बात यह है कि सोनिया ने एक बार भी इसका जिक्र नहीं किया कि कश्मीर में अलगाव वादियों को मदद करने से लेकर भारत पर कई बार आरोप लगाने तक में ईरान आगे रहा है और कश्मीर को उनकी सरकार स्वतंत्र क्षेत्र बतौर पेश करती रही है. इस तरह के लेख से साफ है कि अपने वोटबैंक को खुश करने के लिए उन्होंने कई तथ्य अपनी सुविधा से नजरअंदाज कर दिए हैं लेकिन इससे बड़ा सवाल तो यह है कि भारत की तटस्थ रहने की नीति तो नेहरु और इंदिरा के समय से चली आ रही है यहां तक कि इंदिरा के समय तो बाकायदा यह घोषित नीति थी, ऐसे में सोनिया यदि ईरान का पक्ष लेने की बात कर रही हैं तो यह पूछा जाना चाहिए कि क्या वो अपनी सासू मां की नीतियों के विरोध में खड़ी हैं जो नॉन अलायमेंट की कट्‌टर पक्षधर मानी जाती थीं. वैसे आप सिर्फ इतना ही समझने की कोशिश कीजिए कि भूले से इस समय कांग्रेस सरकार होती तो हम इन विचारों के साथ किस तरफ आगे बढ़ रहे होते और ईरान की दुर्दशा जैसे हालात उसका साथ देने के नाते हमारे भी हो ही रहे होते.