April 29, 2025
देश दुनिया

Congress ने अपने सीएम और वाड्रा के बयानों से भी किया किनारा

मणिशंकर अय्यर सहित कई नेताओं को कांग्रेस ने उनकी निजी राय बताकर कहा पार्टी का स्टैंड सिर्फ वह जो राहुल कहें

कांग्रेस ने पहलगाम आतंकी हमले को लेकर उसके अलग अलग नेताओं के बयानों से एकमुश्त किनारा करने की नीति अपना ली है. कांग्रेस ने जिन पार्टी नेताओं के बयानों से किनारा किया है उनमें कर्नाटक के मुख्यमंत्री से लेकर रॉबर्ट वाड्रा तक शामिल हैं. अपनी तरह की यह पहली घटना होगी जब किसी पार्टी ने अपने मुख्यमंत्री सहित इतने सारे नेताओं को निजी राय बता कर बयानों से किनारा किया गया हो. चलिए मान लें सिद्धारमैया, आरवी तिम्मापुर, विजय वडेट्टीवार, तारिक हमीद कर्रा जैसे नाम इतने जाने पहचाने नहीं हैं लेकिन कश्मीर के नेता सैफुद्दीन सोज तो कांग्रेस सरकार में कश्मीर को लेकर नीति निर्धारित करने वाली टीमों में रहा करते थे, कश्मीर के मामले में उनके बयान से दूरी बनाना इतना आसान कैसे होगा? इस बीच एक और नेता जो कि हमेशा से भारत विरोधी बयानों के लिए ही मीडिया के सामने भेजे जाते हैं वो हैं मणिशंकर अय्यर.

पहलगाम मामले में अय्यर ने फिर मुंह खोला और जो मर्जी बोला, इसके बाद अब कांग्रेस कह रही है कि अय्यर की बातें भी पार्टी के विचार नहीं हैं इसलिए उन्हें भी कांग्रेस की बात न माना जाए. यहां तक कि सोनिया के दामाद, राहुल के जीजू और सांसद प्रियंका के पति रॉबर्ट वाड्रा के बयानों को भी कांग्रेस ने उनकी निजी राय बता दिया है. पार्टी के महासचिव जयराम रमेश ने उनके बयान को निजी राय बताया और कहा कि ये कांग्रेस पार्टी की लाइन नहीं है. रमेश ने यह भी कह दिया कि पार्टी अध्यक्ष खड़गे और राहुल के अलावा एआईसीसी के अधिकृत अधिकारी जो बोलेंगे, उसे ही पार्टी का स्टैंड माना जाए. इन बयानों से किनारा करने के दो ही खेल हो सकते हैं कि या तो पार्टी अपने नेताओं को ऐसे बयान देने को कह देने के बाद प्रतिक्रिया देखती है और लोगों का गुस्सा देखकर उनसे किनारा करने की बात कर देती है या कि ये नेता खुद ही मीडिया पर छाए रहने और अपना महत्व बताने के लिए पार्टी लाइन से बाहर जाकर बातें करते हैं. पहले वाले मामले में पार्टी ऐसे बयान देने वालों को कुछ नहीं करती सिर्फ उनके बयानों से किनारा करती है जबकि दूसरे मामले में तो बात अनुशासन की हो जाती है और इसमें पार्टी से बाहर किए जाने का भी रास्ता संभव होता है. ऐसे में जब रमेश मीडिया से कहते हैं कि ये इनके निजी बयान हैं और इन बयानवीरों पर कार्रवाई नहीं होती है तो समझिए कि बयान दिए नहीं दिलाए गए थे. वैसे इसमें एक और मजेदार तथ्य भी खोजा जा रहा है और वह यह कि राहुल की बात पार्टी का स्टैंड मानी जाएगी जबकि वाड्रा की बात को रमेश् जैसा व्यक्ति बाहर आकर खारिज कर जाएगा.