July 18, 2025
देश दुनिया

Chandra Babu Naidu की राजनीति अरसे बाद फिर चमकी

लोकसभा चुनावों ने कुछ को ऑक्सीजन दी और कुछ को चलने लायक बना दिया वहीं कुछ पार्टियों को लोकसभ से सफाया ही कर दिया लेकिन इस पूरे चुनाव में सबसे बड़ा विजेता बनकर कोई उभरा है तो वे चंद्रबाबू नायडू यानी नारा चंद्रबाबू नायडू गारु हैं. आंध्र प्रदेश में वो धमाकेदार तरीके से लौटे हैं जगनमोहन रेड्डी की वाईएसआर को लगभग खत्म ही कर दिया है. 2019 में नायडू निराश से हो गए थे और आज वो न सिर्फ आंध्र में सत्ता संभालने जा रहे हैं बल्कि केंद्र की सत्ता के भी किंगमेकर बन गए हैं. मोदी को तीसरी पारी के लिए जिनकी सबसे ज्यादा जरुरत है वो दोनों बाबू ही हैं यानी एक नीतिश बाबू और दूसरे चंद्र ‘बाबू’. नायडू इससे पहले भी राष्ष्ट्रीय राजनीति में रहे हैं और पांच दशकों के राजनीतिक अनुभव में उन्होंने कुछ ही दिन पहले जेल वाला समय भी देखा है और मुख्यमंत्री बतौर आंध्र के लिए जमकर काम भी किया है. पवन – कल्याण की जनसेना से उनके गठबंधन ने वायएसआर को जो पटकनी दी है वह कमाल से कम नहीं है. आंध्र में उन्होंने 25 में से बीजेपी को महज छह सीटें दीं लेकिन भाजपा भी समझ रही थी कि आंध्र में कौन सी आंधी आ रही है. पिछली बार विधानसभा चुनाव में खुद पवन कल्याण हार गए थे लेकिन इस बार नयडू साथ थे तो पिछला रिजल्ट नहीं आया. आंध्र में इस बार मतदान का प्रतिशत अच्छा था और उसमें से नायडू और पवन ने बेहतरीन वोट शेयर हासिल किया, लोकसभा में भी और विधानसभा में भी. 175 विधायकों के सदन में नायडू के खुद के विधायकों की संख्या 135 तक पहुंची तो सहयोगी दलों- बीजेपी को 8 और जेएसपी को 21एमएलए मिले. कुछ ही महीनों पहले स्किल डेवलपमेंट घोटाले में सीआईडी ने उन्हें गिरफ्तार किया तो वे दो महीने जेल में रहे. 70 के दशक से राजनीति देख रहे नायडू की शुरुआत यूथ कांग्रेस से हुई . दशक भर बाद वे एनटीआर की तेलुगू देशम से जुड़े, जिनकी पुत्री भुवनेश्वरी से विवाह किया और 1985 में उनका तख्तापलट कर सीएम
बने. 1999 और 2014 को मिलाकर 13 साल मुख्यमंत्री रहे नायडू अब चौथी बार मुख्यमंत्री बनेंगे . आंध्र को स्पेशल स्टेट की मांग उनकी शाश्वत मांग रही है, वे राजनीति में समय के अनुसार अपना रुख बदलते रहे हैं और फिलहाल एनडीए के साथ होनले का पक्का दावा कर रहे हैं.