Bhopal Gas Tragedy वाले कचरे की अगली सुनवाई छह हफ्ते बाद
अगली सुनवाई 18 फरवरी को होगी, डॉक्टरों की याचिका भी तभी सुनी जाएगी
भोपाल गैस त्रासदी के जहरीले कचरे पर पीथमपुर और इंदौर में हो रहे विरोध के बीच जबलपुर हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि सरकार ने सही जानकारी नहीं दीं जिसके चलते हालात गड़बड़ाए. सरकार ने इस जहरीले कचरे के निस्तारण को लेकर कोर्ट से छह हफ्ते का समय मांगा जो अदालत ने मंजूर कर लिया. मामले की अगली सुनवाई 18 फरवरी को होगी. सरकार ने अदालत को बताया कि अभी कचरे का निस्तारण तो दूर अनलोडि़ंग ही नहीं हुई है, इसलिए इसकी अनुमति दी जाए. इस पर कोर्ट ने कहा कि अनलोडिंग के लिए अलग से अनुमति की जरुरत ही नहीं है क्योंकि वह निस्तारण के आदेश में समाहित है. सरकार ने अपने हलफनामे में कहा कि यूनियन कार्बाइड के कचरे पर कुछ लोगों द्वारा भ्रामक जानकारियां फैलाई गई है. इस पर कोर्ट ने इससे जुड़ी फेक न्यूज रोकने की बात कही. इस बीच इस कचरे के निस्तारण को लेकर इंदौर के डॉक्टर्स द्वारा आपत्तियां पेश लगाई गई हैं. इन पर भी अगली सुनवाई पर ही बात होगी.
भोपाल में पड़े इस कचरे को लेकर आलोक सिंह ने 2004 में याचिका लगाते हुए कहा था कि यूनियन कार्बाइड फैक्टरी में जो 350 टन कचरा है उसे नष्ट किया जाना चाहिए. याचिकाकर्ता की मृत्यु हो चुकी है इसलिए हाईकोर्ट स्वसंज्ञान से मामले को सुन रहा है. पिछली सुनवाई में हाईकोर्ट ने कहा था कि साइट से यह कचरा हटाने के लिए सभी संबंधित पक्ष जरुरी कागजी कार्रवाई निपटा कर चार सप्ताह में कचरा भस्मक तक पहुंचाएं. इस आदेश को पूरा करने में जिस भी विभाग की ढील नजर आएगी उसके प्रमुख सचिव पर अवमानना की कार्रवाई होगी. इतने सख्त आदेश के बाद ही सरकारी अमले ने तुरंत काम शुरु किया और भोपाल से कचरे को पीथमपुर के रामकी भस्मक तक पहुंचाया गया लेकिन जल और वायु की चिंता के चलते लोगों ने इसे पीथमपुर में जलाने का विरोध तेज किया और इस विरोध को व्यापक समर्थन भी मिला.