808 दलों को आयोग ने सूची से निकाला, 359 और हटेंगे
छह साल से कोई चुनाव नहीं लड़े 808 राजनीतिक दल चुनाव आयोग की सूची से हटे
निर्वाचन आयोग ने देश की चुनावी व्यवस्था का बेजा फायदा उठाने वालों के खिलाफ एक बड़ा कदम उठाया है. आयोग ने पिछले दो महीनों में कुल 808 पंजीकृत लेकिन गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों को आधिकारिक सूची से बाहर कर दिया है. ये दल लगातार छह वर्षों तक किसी भी चुनाव में हिस्सा नहीं ले रहे थे लेकिन राजनीतिक दल होने का विशेषाधिकार लेने में आगे थे. जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 29A के अनुसार निर्वाचन आयोग में पंजीकृत राजनीतिक दलों को चुनाव चिन्ह, आयकर छूट के अलावा कई सुविधाएं भी मिलती हैं. ये सुविधाएं दलों के सक्रिय रहने पर ही दी जाती हैं लेकिन पिछले छह सालों में एक भी चुनाव में भाग न लेने वाली पार्टियां भी इन सुविधाओं का फायदा ले रही थीं. आयोग ने पिछले ही महीने 334 ऐसे दलों को सूची से हटाया था जो 2019 से किसी चुनावी गतिविधि में शामिल नहीं थे और अब 474 दलों को और हटाया गया है. यानी अगस्त और सितंबर के दो महीनों में 808 राजनीतिक दलआयोग की सूची से बाहर हुए हैं.
निर्वाचन आयोग का कहना है कि चुनावी पारदर्शिता बढ़ाने के संसाधनों का दुरुपयोग रोकने के लिए भी लिया गया. अभी और भी दलों के सूची से हटने की संभावना है क्योंकि आयोग उन दलों को भी बाहर करने वाला है जिन्होंने नियम के अनुसार अपने वार्षिक लेखे व खर्च के ब्यौरे नहीं दिए हैं. माना जा रहा है कि ऐसे 359 दल हैं जिन्होंने ये दस्तावेज नहीं दिए हैं. आयोग का मानना है कि सक्रिय और जवाबदेह दलों को ही विशेषाधिकार व सुविधाएं मिलना चाहिए. यदि 359 अन्य दल भी आवश्यक शर्तें पूरी नहीं करते, तो कुल हटाए गए दलों की संख्या 1100 के पार जा सकती है.