June 21, 2025
देश दुनिया

1 MAY यानी 1886 से लेकर आज तक का मजदूर दिवस

-शहाबुद्दीन कमरुल हसन

मजदूर दिवस की शुरुआत सन 1886 में है मार्केट शिकागो में हुए मजदूरों के संघर्ष के बाद से हुई यह संघर्ष मजदूर और पुलिस के बीच में हुआ जो की इतिहास में दर्ज हो गया मजदूरों को पहले 12 से 16 घंटे तक काम करना पड़ता था और इस संघर्ष आंदोलन के द्वारा मजदूरों ने 8 घंटे के कार्य दिवस की मांग की थी.
यह तो 1886 की बात हुई जिस आंदोलन में मजदूरों को कामयाबी मिली लेकिन क्या आज भी हम मजदूर की परेशानियों का हल निकाल पाए हैं? अगर बात करें अलग-अलग जगह की तो चाहे वह दुकान में काम करने वाले कर्मचारी हों, ऑफिस में काम करने वाले कर्मचारी या फिर स्कूल और कॉलेज में पढ़ने वाले शिक्षक आज जो भी प्राइवेट सेक्टर की नौकरी कर रहा है एक तरह से वह मजदूर ही है क्योंकि जितनी मेहनत वह कर रहा है शायद उसको उतना वेतन नहीं मिल पा रहा है. कहीं ना कहीं वह गुलामी ही कर रहा है, जिसे ना तो बोलने और ना ही आजादी से काम करने का हक दिया गया है वह तो बस अपने मालिक का मजदूर ही है.
मैं इस लेखन से सिर्फ इतना ही कहना चाहता हूं कि हमारी आज की गवर्नमेंट को इस पर दखल देना चाहिए क्योंकि आखिरकार गवर्नमेंट बनाता भी यही मजदूर वर्ग है, और प्राइवेट सेक्टर हो, चाहे किसी की दुकान या फिर किसी का खेत बिना मजदूर के यह सब अधूरे हैं.
जब मजदूर बिगड़ता है तो या तो फिर कानून बदलते हैं या फिर सत्ता इसलिए हमारी गवर्नमेंट को उनके बारे में भी कुछ सोचना चाहिए.
मजदूरों की हाय और आवाज,
कभी खाली नहीं जाती.
आज तो जरूर चूभती है यह, लेकिन कल को उज्जवल भी यही बनाती है.

लेखक