June 21, 2025
देश

‘AAP’ के अंदर क्या चल रहा है

राजकुमार आनंद के इस्तीफे के बाद अब सवाल उठ रहे हैं कि आखिर आम आदमी पार्टी के अंदर चल क्या रहा है. केजरीवाल यदि जेल हैं तो यह समय एकजुटता दिखाने का था लेकिन ऐसा होता नजर नहीं आ रहा है. राष्ट्रीय स्तर पर आप के पास ज्यादा नाम तो कभी नहीं थे लेकिन मीडिया में छाए रहने वाले चुनिंदा नामों में भी खिंचाव साफ नजर आ रहा है और सबसे ज्यादा सवाल तो इस बात पर हैं कि राज्यसभा में जिस पार्टी के सात सांसद हों उसका कर्ताधर्ता जेल में हो लेकिन सात में से पांच ने एक महीने से मुंह ही न खोला हो तो इसका मतलब क्या निकाालें. मान भी लें कि मंच और माइक पर आकर बोलना उनके लिए मुश्किल हो लेकिन ऐसा क्या कि जिस पार्टी से राज्यसभा गए हैं उस पार्टी के मुखिया के जेल जाने पर एक सोशल मीडिया पोस्ट तक न कर सकें. आप के राज्यसभा में सात सांसद हैं और इनमें से सबसे जाना पहचाना चेहरा हरभजन सिंह का है लेकिन उन्हें फिक्र यह है कि यदि उन्होंने कुछ कहा तो उनका क्रिकेट से आने वाला पैसा प्रभावित हो सकता है लेकिन बाकी छह में से भी दो ही सांसद ऐसे हैं जिन्होंने केजरीवाल के जेल जाने पर हलकी फुलकी चिंता जाहिर की है. हरभजनसिंह के अलावा अशोक मित्तल, वीएस साहनी और संजीव अरोरा की ओर से अभी तक कुछ भी नहीं आया है. हरभजन को क्रिकेटर बतौर उनकी प्रसिद्धि के दम पर राज्यसभा सीट दी गई थी और मित्तल, साहनी और संजीव अरोरा को राज्यसभा भेजे जाते समय ही ये आरोप लगे थे कि इन बिजनेसमैन ने राज्यसभा के लिए करोड़ों रुपए देकर सीट हासिल की है.यानी इन सभी का मुंह इस वजह से बंद है कि कहीं इनका मुंह खोलने से धंधे पर असर न पड़ जाए. वैसे बलबीर सिंह सीचेवाल को भी आप ने राज्यसभा पहुंचाया है और यह उन्हेंपर्यावरण के लिए काम करने के एवज में मिली सीट बताई जाती है.सीचेवाल भी अब तक केजरीवाल के जेल में होने को लेकर या कोर्ट की केजरीवाल पर टिप्पणियों को लेकर कुछ नहीं बोले हैं. ऐसे में दो राज्यसभा सांसद ही बचते हें जिन्होंने रस्म अदायगी के लिए केजरीवाल का समर्थन किया है और वे एक तो संदीप पाठक हैं जो विरोध के लिए बाहर भी आए और दूसरे राघव चड्‌ढा हैं जो लंदन में बैठकर सोशल मीडिया पर चार छह दिन में एक पोस्ट कर केजरीवाल को समर्थन दे देते हैं. कल जिस तरह से मंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद राजकुमार आनंद केजरीवाल पर भड़के वह भी गौर करने लायक है और इस बात पर तो नजर रखनी ही चाहिए कि आतिशी और सौरभ कैसे संजय सिंह केजेल से निकलते ही लगभग शक्तिहीन कर दिए गए हैं जबकि संजय सिंह के अंदर रहते ये ही सब संभालते नजर आ रहे थे.