July 22, 2025
हेल्थ

World Brain Day ब्रेन हेल्थ पर जागरुकता क्यों है जरुरी


थोड़ी सतर्कता से बच सकती है भविष्य की बड़ी परेशानी

दिमाग हमारे शरीर का सबसे ज़रूरी और जटिल अंग है, जो हमारे सोचने, चलने, याद रखने और भावनाओं को नियंत्रित करता है. इसके बावजूद अक्सर तब तक इसकी सेहत पर ध्यान नहीं दिया जाता जब तक कोई गंभीर समस्या ही न हो जाए. हर साल 22 जुलाई को मनाए जाने वाले वर्ल्ड ब्रेन डे के मौके पर केयर हॉस्पिटल्स ने लोगों से अपील की है कि वे न्यूरोलॉजिकल बीमारियों के शुरुआती लक्षणों को नज़रअंदाज़ न करें और समय-समय पर ब्रेन हेल्थ की जांच जरूर करवाएं. इस साल की थीम “ब्रेन हेल्थ एंड प्रिवेंशन” का उद्देश्य है समय पर पहचान, सही इलाज और ऐसी जीवनशैली को बढ़ावा देना जो दीर्घकालिक न्यूरोलॉजिकल सेहत को बनाए रखे. स्ट्रोक, मिर्गी, डिमेंशिया, मल्टीपल स्क्लेरोसिस और ब्रेन ट्यूमर जैसी स्थितियां अब युवाओं और बुज़ुर्गों दोनों को प्रभावित कर रही हैं, बढ़ती हुई तनावपूर्ण जीवनशैली, शारीरिक गतिविधि की कमी और जागरूकता के अभाव के कारण ये बीमारियां तेजी से फैल रही हैं.
केयर हॉस्पिटल्स के सीनियर कंसल्टेंट न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. आशीष बागड़ी का कहना के कि “लोग अकसर ब्रेन से जुड़ी बीमारियों को सिर्फ स्ट्रोक या ट्यूमर से जोड़कर देखते हैं. लेकिन आज के समय में तनाव, बर्नआउट और डिजिटल ओवरलोड ज़्यादा खतरनाक साबित हो रहे हैं, खासकर वर्किंग प्रोफेशनल्स में. फोकस की कमी, चिड़चिड़ापन, नींद की समस्या और भूलने की आदत जैसे लक्षण आमतौर पर नज़रअंदाज़ किए जाते हैं. लेकिन ये चेतावनी के संकेत हैं. ब्रेन हेल्थ कोई विकल्प नहीं, यह ज़रूरी है,” केयर हॉस्पिटल्स के कंसल्टेंट न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. मनोरंजन बरनवाल का कहना है कि कॉर्पोरेट सेक्टर में मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी चुनौतियां लगातार बढ़ रही हैं. स्क्रीन का अधिक उपयोग, पर्याप्त आराम की कमी और लगातार मानसिक बोझ, दिमाग के कार्यों को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर रहे हैं.“अब हम 30 साल तक की उम्र के लोगों में भी ऐसी न्यूरोलॉजिकल समस्याएं देख रहे हैं, जो पूरी तरह से तनाव और जीवनशैली से जुड़ी हैं. एक स्वस्थ दिमाग सिर्फ बीमारियों से बचने के लिए नहीं होता, बल्कि मानसिक, भावनात्मक और बौद्धिक रूप से हर दिन बेहतर तरीके से जीने के लिए होता है,”
न्यूरोलॉजिस्ट मानते हैं कि विभिन्न क्षेत्रों के हाई-फंक्शनिंग व्यक्ति कुछ सामान्य ब्रेन-बूस्टिंग आदतों का पालन करते हैं. इनमें शामिल हैं – हर रात 7 से 8 घंटे की अच्छी नींद लेना, बी-विटामिन्स, ओमेगा-3 फैटी एसिड और एंटीऑक्सिडेंट्स से भरपूर संतुलित आहार लेना, तनाव प्रबंधन के लिए नियमित ध्यान या माइंडफुलनेस का अभ्यास करना, और डिजिटल हाइजीन का पालन करना – जैसे स्क्रीन टाइम की सीमा तय करना और नियमित रूप से डिजिटल डिटॉक्स लेना.
डॉ. आशीष बागड़ी ने इस बात पर जोर देते हुए कहा कि “वियरेबल्स, एआई-आधारित कॉग्निटिव टेस्ट और ब्रेन-ट्रेनिंग ऐप्स न्यूरो-केयर को पूरी तरह बदल रहे हैं. लेकिन स्क्रीन के ज़्यादा इस्तेमाल, मल्टीटास्किंग और सोशल मीडिया की लत से ध्यान लगाने की क्षमता और मानसिक स्थिरता पर बुरा असर पड़ रहा है. टेक्नोलॉजी एक साधन है, इंसानी आराम, जुड़ाव और सोच का विकल्प नहीं,” माता-पिता और शिक्षकों को बच्चों की स्क्रीन टाइम पर विशेष ध्यान देना चाहिए. दिमाग के शुरुआती विकास के साल बहुत संवेदनशील होते हैं, और ज़्यादा स्क्रीन एक्सपोज़र से बच्चों की भावनात्मक नियंत्रण क्षमता, एकाग्रता और संवाद कौशल में देरी हो सकती है. डॉ. मनोरंजन बरनवाल ने बताया कि” अखरोट, फैटी फिश, बेरीज़ और हरी पत्तेदार सब्ज़ियों जैसे ब्रेन-फ्रेंडली फूड्स अब पहले से कहीं ज़्यादा ज़रूरी हो गए हैं. अच्छा पोषण दिमाग के लिए हाई-ऑक्टेन फ्यूल जैसा है – यह याददाश्त, मूड और सीखने की शक्ति को ऊर्जा देता है,”केयर हॉस्पिटल्स न्यूरोसाइंस के क्षेत्र में लगातार अग्रणी बना हुआ है – एडवांस्ड डायग्नॉस्टिक्स, स्ट्रोक-रेडी इमरजेंसी टीमें, मिर्गी निगरानी यूनिट्स, न्यूरो-रिहैबिलिटेशन और विशेषज्ञों द्वारा संचालित सर्जरी इसकी पहचान हैं. इस वर्ल्ड ब्रेन डे पर, केयर हॉस्पिटल्स सभी से अपील करता है, समय रहते शुरुआत करें, स्पष्ट सोचें और अपने सबसे ज़रूरी अंग जो कि दिमाग होता है उसकी रक्षा करें