Influencers से प्रभावित हो रहे तीस प्रतिशत उपभोक्ता फैसले
वेव्स मुंबई समिट के दौरान डिजिटल क्रिएटर्स और क्रिएशन पर हो रही बात में तथ्य सामने आया
मुंबई में चल रहे वेव्स समिट का दूसरा दिन भी बॉलीवुड के ही चंगुल में फंसा नजर आया और वही अभिनेता अभिनेत्री ही अंबानी के बड़े हॉल में चहलकदमी नजर आए जो अवॉर्ड फंक्शन में नजर आते हैं. जबकि वे खुद कह रहे थे कि 98 प्रतिशत तक लोग ऑनलाइन ट्रेंड देख रहे हैं. आमिर ने अमेरिका और चीन से तुलना करते हुए कहा, हमारे देश में सिर्फ 10 हजार स्क्रीन हैं, जिनमें से आधी दक्षिण भारत में हैं. जबकि अमेरिका में भारत से तीन गुना कम आबादी है और वहां 40 हजार स्क्रीन मौजूद हैं. भारत के लगभग बराबर आबादी वाले चीन के पास 90 हजार थिएटर स्क्रीन हैं. वहीं वेव्स समिट में आए एक्सपर्ट्स ने बताया कि यदि ऐसा ही ट्रेंड चलता रहा तो भारत की क्रिएटर इकोनॉमी 2030 तक 85 लाख करोड़ रु. की हो जाने वाली है यानी मौजूदा बॉलीवुड की इकॉनामी से कई कई गुना बड़ी. बॉस्टन कंसल्टिंग ग्रुप की रिपोर्ट में बताया गया है कि इस समय देश में 20-25 लाख डिजिटल क्रिएटर्स काम कर रहे हैं, लेकिन आनुपातिक कमाई बमुश्किल दस प्रतिशत तक ही पहुंच पा रही हैं.
मौजूदा क्रिएटर्स और इनके सिस्टम 15 से 20 लाख करोड़ रु. सालाना की कमाई कर रहा है. शॉर्ट वीडियो, कॉमेडी और फैशन इस समय के सबसे लोकप्रिय सब्जेक्ट हैं जिन पर कंटेंट की डिमांड भी है. इस रिपोर्ट का दावा है कि क्रिएटर्स और इन्फ्लुएंसर्स का उपभोक्ताओं के फैसलों को प्रभावित करने दर तीस प्रतिशत तक बढ़ी है.