Anurag से उर्वशी तक, बॉलीवुड का मसला क्या है
बॉलीवुड के कुछ लोगों ने तो ऐसी ही फिजूल बातें कर कर के अपना करियर चमका लिया है
बॉलीवुड वालों की अपनी ही दुनिया है जिसमें वो आधे पागलों की तरह घूमते रहते हैं और बीच बीच में इसका नमूना भी पेश करते रहते हैं. एक ही दिन में दो ऐसे ही नमूनों ने अपनी समझ का प्रदर्शन किया. एक तो हैं अनुराग कश्यप और दूसरी हैं उर्वशी रौतेला. अनुराग कश्यप को किसी एक समाज से इतनी नफरत है कि वो कहते हैं कि मैं इस समाज के लोगों पर लघुशंका करूंगा. वैसे वे जो सरनेम लगाए घूम रहे हैं वो भी शायद इसी समाज का है जिस पर उन्हें यह महान कार्य करना है. उनका फ्रस्ट्रेशन यह है कि उनकी फिल्म फुले सेंसर के पास अटक गई है.
दूसरी तरफ उर्वशी रौतेला हैं जिन्हें लगता है कि वो इतनी महान हैं कि उनका एक मंदिर साउथ में भी होना चाहिए, बकौल उर्वशी उनका एक मंदिर उत्तराखंड में तो पहले से ही है. उर्वशी रौतेला की कमअक्ली देखिए कि उन्हें यह नहीं पता कि उनका नाम कहीं पुरातन ग्रंथों से लिया गया है और जो मंदिर है वह भी उसी परंपरा का हिस्सा है. अब उर्वशी मान कर चल रही हैं कि उत्तर भारत में तो उनके फैंस के लिए मंदिर है तो दक्षिण में भी ऐसा मंदिर बनना चाहिए जिसमें उनके फैंस जाकर पूजा अर्चना करें. बॉलीवुड के इन फोकेटे दिमागों को यह महसूस नहीं होता कि वो जो बोल रहे हैं उससे उनका ही दिमागी दिवालियापन सामने आता है. कैमरे लिए मीडिया इनके पीछे भागता है और इनकी एक बाइट के लिए पत्रकार एक दूसरे पर गिरते पड़ते रहते हैं तो इन्हें अपने महान होने का अहसास इस कदर हो जाता है कि अब इन्हें अपने मंदिर चाहिए या दूसरे सज्जन को तो एक समाज के लोगों पर शंका निवारण ही करना है.