April 19, 2025
तीज त्यौहार

Diwali दीपक की ज्योति, ईश्वर व आपके बीच संवाद का माध्यम है

आखिर सनातन में इतना क्यों माना गया है दीप का महत्व

दीपक की रोशनी का महत्व क्यों मानान जाता है. आज दीवाली पर जब जमीन और असमान दोनों दीयों की रोशनी से जगमग हैं तब हमें समझना चाहिए कि दीपज्योति का इतना महत्व क्यों बताया गया है. दीप जलाने का मतलब सिर्फ घर को रोशन करना न होकर यह भी है कि घर से अंधेरे कोउसी तरह दूर कर दें जिस तरह हम आत्मा का दीप जलाना चाहिते हैं. भारतीय संस्कृति में दीपज्योति का बहुत महत्व है. दीपक न सिर्फ रोशनी देते हैं बल्कि आपकी इच्छाओं और प्रार्थनाओं को भी सर्वशक्तिमान तक पहुंचाते हैं.
सनातन में प्रत्येक अनुष्ठान की शुरुआत दीप जलाकर की जाती है, इसलिए दीप को भगवान और भक्त के बीच संवाद माध्यम माना जाता है. अग्नि देवता का प्रतीक दीपक भक्त की भावनाओं और इच्छाओं को देवताओं तक पहुंचाता है. ऋग्वेद में उल्लेख है, “अग्निदेव! “अगर आपकी राह धुँधली और कठिन है, लेकिन जैसे ही आप सामने आते हैं, अंधेरा अपने आप गायब हो जाता है.”

सिर्फ दिवाली पर ही घर के हर कोने में रोशनी जरूरी नहीं है बल्कि हर रात कुछ देर के लिए पूरे घर में रोशनी करनी चाहिए. ऐसा कहा जाता है कि जहां भी दीपक जलाया जाता है वहां देवी लक्ष्मी का आगमन होता है और वह स्थान शुद्ध हो जाता है. दीवाली का त्योहार विशेषकर अंधेरे में प्रकाश का त्योहार है. इस दिन सूर्य देव अपनी नीच राशि तुला में होते हैं और पृथ्वी पर उनकी रोशनी कम होती है. ऋषि-मुनियों के अनुसार चंद्रमा और सूर्य के बीच असंतुलन के कारण रात में दीपक जलाने की परंपरा शुरू हुई. अमावस्या पर दीपक जलाने से वातावरण संतुलित रहता है और चारों ओर ऊर्जा का संचार होता है. कार्तिक माह को दीप जलाने का महीना माना जाता है, जिसमें हर घर में दीपक जलते नजर आते हैं. दीपक को चावल, गोबर या धातु से बने आसन पर रखना उचित माना गया है. दीप हमारे लिए शुभ संदेश लजाने वाले संदेशवाहक के रूप में काम करते हैं इसीलिए धर्मग्रंथों में कहा गया है, कभी दीप का अनादर नहीं करना चाहिए क्योंकि वह आपकी प्रार्थनाएं भगवान तक पहुंचाता है.