June 21, 2025
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Devshayani Ekadashi 2024 :देवशयनी एकादशी कब है, शुभ मुहूर्त, उपाय और देव सुलाने का मंत्र

देवशयनी एकादशी अत्यंत पवित्र दिन है. आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को देवशयनी एकादशी कहते हैं। देवशयनी एकादशी के दिन से भगवान विष्णु का शयनकाल प्रारंभ हो जाता है इसीलिए इसे देवशयनी एकादशी कहते हैं। इसे योगनिद्रा एकादशी, हरिशयनी ग्यारस, पद्मनाभ एकादशी के नाम से भी जानते हैं।

देवशयनी एकादशी और देवउठनी एकादशी सभी एकादशी में अत्यधिक महत्व रखती है.देवशयनी एकादशी पर संसार के पालनहार भगवान विष्णु (Lord Vishnu)चार मास के लिए शयनकाल के लिए चले जाते हैं और इसके बाद देवउठनी एकादशी पर क्षीरसागर से जागते हैं…इस दौरान जगत में कोई भी शुभ मांगलिक कार्य नहीं होता है.आषाढ़ मास से कार्तिक मास के एकादशी तक के समय को चातुर्मास कहते हैं। इन चार महीने में भगवान विष्णु क्षीरसागर की अनंत शय्या पर शयन करते हैं।

इन दिनों में तपस्वी एक जगह रहकर ही अनुष्ठान करते हैं। इस दिन व्रत रखकर भगवान विष्णु का पूजन व विष्णु सहस्रनाम का पाठ करना चाहिए। इससे समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं और दिव्य मोक्ष की प्राप्ति होती है।

Devshayani Ekadashi 2024: इस साल देवशयनी एकादशी 17 जुलाई 2024, बुधवार के दिन मनाई जाएगी.

इस साल देवशयनी एकादशी 17 जुलाई 2024 को है लेकिन मतांतर से 16 जुलाई को भी पर्व मनाया जाएगा.

देवशयनी एकादशी 2024 शुभ मुहूर्त: देवशयनी एकादशी तिथि 16 जुलाई 2022 को रात 08 बजकर 33 मिनट पर प्रारंभ होगी, जो कि 17 जुलाई को रात 09 बजकर 02 मिनट पर समाप्त होगी।

देवशयनी एकादशी व्रत पारण मुहूर्त: देवशयनी एकादशी व्रत का पारण 18 जुलाई 2024 को किया जाएगा।

5.35 भोर से 8 बजकर 20 मिनट तक

देवशयनी एकादशी उपाय
देवशयनी एकादशी पर तुलसी के पौधे की मिट्टी में चांदी का सिक्का मनोकामना के साथ गाड़ दे और देव उठनी एकादशी के दिन निकाल लें… भगवान विष्णु अवश्य कामना पूरी करेंगे.

लाल रंग की चुनरी तुलसी माता को अर्पित करने से खुशियां, सुख, समृद्धि, अपार धन-दौलत की प्राप्ति होती है और मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं.

देवशयनी एकादशी पर एक पीले धागे में 11 गांठ लगाएं और उसे तुलसी गमले पर बांध दें, मनचाही खुशियां आंगन में आएगी.

देवशयनी एकादशी के दिन तुलसी के पौधे पर लाल-हरी-पीली-नीली मौली भी जरूर बांधना चाहिए,

देवशयनी एकादशी के दिन तुलसी के पौधे पर कच्चा दूध अर्पित करना चाहिए,

तुलसी के पौधे के पास एक घी का दीया जलाकर सच्चे मन से पूजा अर्चना करने से सभी संकट समाप्त हो जाते हैं.

देवशयनी एकादशी व्रत का पारण करने के बाद पूजा सामग्री, पूजा के बर्तन, 7 तरह के अन्न, पीली मिठाई, मौसमी फल और पीले व आसमानी रंग के वस्त्र का दान करें। इससे जीवन में कभी भी अन्न और धन की कमी का सामना नहीं करना पड़ता है।

देवशयनी एकादशी पर दूध,फलाहार और दही का दान करें।

क्या सेवन करें
इस दिन दूध,दही या जल का सेवन कर सकते है। एकादशी व्रत में शकरकंद, कुट्टू, आलू, साबूदाना, नारियल, काली मिर्च, सेंधा नमक, दूध, बादाम, चीनी आदि सात्विक पदार्थ खाने में शामिल कर सकते हैं।

निषेध
एकादशी का उपवास रखने वालों को दशमी के दिन से ही मांस, लहसुन, प्याज, मसूर की दाल आदि निषेध वस्तुओं का त्याग करना चाहिए। और पारण के दिन भी इनसे बचना चाहिए

भगवान श्री हरि के हाथों में शंख, चक्र, गदा और पद्म सुशोभित करें। भगवान विष्णु को पान और सुपारी अर्पित करने के बाद धूप, दीप और पुष्प चढ़ाकर आरती उतारें और इस मंत्र द्वारा भगवान विष्णु की स्तुति करें…

देव शयन मंत्र:
‘सुप्ते त्वयि जगन्नाथ जगत्सुप्तं भवेदिदम्। विबुद्धे त्वयि बुद्धं च जगत्सर्व चराचरम्।।’
मंत्र का अर्थ- हे प्रभु आपके जगने से पूरी धरती जग जाती है और आपके सोने से पूरी धरती, चर और अचर सभी सो जाते हैं। आपकी कृपा से ही यह सृष्टि सोती है और जागती है, आपकी करुणा से हम पर कृपा बनाए रखें।

देवशयनी एकादशी पर करें इन मंत्रों का जाप

विष्णु मूल मंत्र
ॐ नमोः नारायणाय॥ॐ नमोः भगवते वासुदेवाय॥

विष्णु गायत्री मंत्र

ॐ श्री विष्णवे च विद्महे वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्॥

श्री विष्णु मंत्र

मंगलम भगवान विष्णुः, मंगलम गरुणध्वजः।
मंगलम पुण्डरी काक्षः, मंगलाय तनो हरिः॥

भगवान विष्णु का पंचरूप मंत्र

ॐ ह्रीं कार्तविर्यार्जुनो नाम राजा बाहु सहस्त्रवान। यस्य स्मरेण मात्रेण ह्रतं नष्‍टं च लभ्यते।।

विष्णु स्तुति

शान्ताकारं भुजंगशयनं पद्मनाभं सुरेशं
विश्वाधारं गगन सदृशं मेघवर्ण शुभांगम् ।
लक्ष्मीकांत कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यं
वन्दे विष्णु भवभयहरं सर्व लौकेक नाथम् ॥
यं ब्रह्मा वरुणैन्द्रु रुद्रमरुत: स्तुन्वानि दिव्यै स्तवैवेदे: ।
सांग पदक्रमोपनिषदै गार्यन्ति यं सामगा: ।
ध्यानावस्थित तद्गतेन मनसा पश्यति यं योगिनो
यस्यातं न विदु: सुरासुरगणा दैवाय तस्मै नम: ॥

देवशयनी एकादशी का मंत्र (Devshayani Ekadashi Mantra)

देवशयनी एकादशी मंत्र
सुप्ते त्वयि जगन्नाथ जगत्सुप्तं भवेदिदम्।
विबुद्दे त्वयि बुद्धं च जगत्सर्व चराचरम्।

देवशयनी एकादशी संकल्प मंत्र
सत्यस्थ: सत्यसंकल्प: सत्यवित् सत्यदस्तथा।
धर्मो धर्मी च कर्मी च सर्वकर्मविवर्जित:।।
कर्मकर्ता च कर्मैव क्रिया कार्यं तथैव च।
श्रीपतिर्नृपति: श्रीमान् सर्वस्यपतिरूर्जित:।।

क्षमा मंत्र
भक्तस्तुतो भक्तपर: कीर्तिद: कीर्तिवर्धन:।
कीर्तिर्दीप्ति: क्षमाकान्तिर्भक्तश्चैव दया परा।।