October 20, 2025
तीज त्यौहार

Deeep Parv 2025 सर्वे भवन्तु सुखिन; और जगमगाते दीपों का संगम

आदित्य पांडे

श्रीराम के वनवास ही नहीं पांडवों के वनवास के भी अंत का प्रतीक है दीपपर्व

दीपावली भारतीय संस्कृति का ऐसा अनूठा पर्व है जो अमावस्या की रात को जगमग कर देने, एक छोटे से दीपक की महत्ता बताने से लेकर आत्म प्रकाश तक के संदेश देता है. इसे केवल श्रीराम के अयोध्या लौटने की खुशी से नहीं जोड़ा जाता बल्कि महाभारत के अनुसार दीपावती पांडवों के 12 वर्षों के वनवास व 1 वर्ष के अज्ञातवास के बाद वापसी का भी प्रतीक है. यह अनूठा संयोग है कि श्रीराम के वनवास के 14 बरस और पांडवों के वनवास के 13 बरस इसी दिन पूर्ण हुए माने जाते हैं. जैन परंपरा में यह दिन भगवान महावीर का निर्वाण का माना जाता है. महावीर का निर्वाण आत्मा की पूर्ण जागृति की अनूठी घटना का संदेश था, जिससे संसार के अंधकार में मोक्ष का शाश्वत दीप जलाए रखने का संदेश मिला. बौद्ध परंपरा में यह दिन बुद्धत्व की स्मृति का प्रतीक है, वहीं सिक्ख परंपरा में इसे गुरु गोविंद‌सिंहजी के ही नहीं, उनके साथ अन्य कैदियों की मुक्ति का भी दिन माना जाता है. इन सभी प्रसंगों में एक बात समान जर आती है और वह है अंधकार से मुक्ति, ज्ञान से आलोक फैलाने और आत्मा की ओर प्रकाशमान यात्रा. ‘तमसो मा ज्योतिर्गमय’ की धारणा में जो प्रकाश के ओर ने का आग्रह दीपावली उत्साह और उमंगों की लर के साथ लाती है.

दीवाली श्रीलंका, पाकिस्तान, म्यांमार, थाईलैंड, मलेशिया, सिंगापुर, इंडोनेशिया, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, फिजी, मॉरीशस, केन्या, तंजानिया, दक्षिण आफ्रीका, गुयाना, सुरीनाम, त्रिनिदाद और टोबैगो, नीदरलैंड, कनाडा, ब्रिटेन शामिल संयुक्त अरब अमीरात, और यूएस तक भारतीय संस्कृति का यह उजला संदेश दे रही है. दीपावली के पांव दिनों में गौ पूजा और दीपोत्सव के अगले ही दिन गोवर्धन पूजा प्रकृति के प्रति आभार जतााने का हमारा एक प्रतीक ही नहीं है बल्कि हमारी स मामले में प्रतिबद्धता का भी द्योतक है. भाई दूज स्नेह और पारस्परिक विश्वास का दीप जलाने का संदेश है. जीवन में प्रेम, सहयोग और संरक्षण के भाव की पुष्टि करता यह पर्व हर तरह के अंधकार को दूर हटाकर जीवन उत्सव को जीने की नई दिशा देता है. सभी के सुख और समृद्धि की कामना में सर्वे भवन्तु सुखिन; की हमारी संस्कृति की मूल धारणा मजबूत करने वाला यह उत्सव है. हिरण्यकश्यप के वध और समुद्रमंथन में लक्ष्मी धन्वंतरि के प्रकट होने की आस्था भी इस पर्व से जुड़े होने के पीछे भी वही अपने साथ पूरे संसार के सुखी होने की कामना है. जलते हुए दीप केवल घरों को नहीं, हृदयों को भी प्रकाशित करते हैं. दीपक संदेश है कि परिस्थितियां जो भी हों, हमें अपने र्म पर ध्यान देना है और अपने हिस्से का प्रक हम देते रहें तो अमावस्या की रात को भी जगमग दीवाली होते देर नीं लगेगी. दीपावली ज्योति का पर्व है, पुरुषार्थ पर्व है, आत्म साक्षात्कार पर्व है. हर इंसान के अंदर जल रही अखंड ज्योति की लौ मद्धम न हो इस बात का उत्साह लाने वाली दीपावली की सभी को शुभकामना.