Makar Sankranti 2025 कुंभ स्नान और पुष्य योग के चलते विशेष
कुंभ के मौके पर इस दिन संगम पर जुटेंगे लाखों श्रद्धालु
इस साल यानी 2025 को मकर संक्रांति कुछ खास होने वाली है क्योंकि इसी दौरान प्रयागराज में महाकुंभ का भी आयोजन चल रहा है. मकर संक्रांति का पर्व सूर्यदेव के मकर राशि में प्रवेश के उत्सव बतौर मनाया जाता है. पौराणिक ग्रंथों में मकर संक्रांति पर्व का विशेष महत्व है.
मकर संक्रांति के पर्व पर महाकुंभ में संगम पर विशेष आयोजन होंगे और माना जा रहा है कि गंगा, यमुना एवं सरस्वती की त्रिवेणी में डुबकियां लगाकर पुष्यलाभ लेने वालों की संख्यया इस बार करोड़ों में होगी. मकर संक्रांति पर सूर्य उपासना एवं दान-धर्म का विशेष महत्व होता है. मकर संक्रांति सेलिब्रेशन के साथ ही मलमास (खरमास) के कारण प्रतिबंधित हुए शुभ विवाह, जनेऊ एवं मुंडन जैसे संस्कार एवं गृह प्रवेश आदि शुभ कार्य फिर शुरू हो जाएंगे. इस दिन गंगा-स्नान का बति महत्व है. इसी दिन अक्षुण्ण पुण्य प्रदान करने वाले महाकुंभ का पहला शाही स्नान सम्पन्न होगा. खिचड़ी इस दिन विशेष तौर पर बनाई जाती है. विष्णु अनुष्ठान के लिए भी यह दिन अत्यंत शुभ माना जाता है. जिसमें खिचड़ी और तिल-गुड़ दान की परंपरा भी इससे जुड़ी हुई है. मकर संक्रांति पर गंगा-स्नान से जन्म-जन्मांतर के पाप मिट जाते हैं.
मकर संक्रांति का महापुण्य काल
14 जनवरी 2025 को सूर्य सुबह 8.54 पर पुष्य नक्षत्र में मकर राशि में प्रवेश करेंगे. मकर संक्रांति का पुण्यकाल सुबह नौ बजकर तीन मिनट से शाम पांच बजकर 47 मिनट तक रहेगा. इसमें भी सुबह 10.50 तक महापुण्य काल का योग है. इस बार मकर संक्रांति पर दुर्लभ पुष्य नक्षत्र का संयोग भी है, इस योग में गंगा-स्नान से पूजा, तप-जप एवं दान करने से अक्षय फल की प्राप्ति होती मकर संक्रांति का वैज्ञानिक महत्व भी है, मकर संक्रांति के समय गंगा समेत तमाम नदियों में वाष्पन क्रिया होती है. इस वाष्पीकरण से तमाम तरह के रोग दूर हो सकते हैं. इसलिए इस दिन नदियों में स्नान करने का विशेष महत्व है. मकर संक्रांति के समय उत्तर भारत में ठंड का मौसम रहता है. चिकित्सा विज्ञान के अनुसार इस मौसम में तिल-गुड़ का सेवन सेहत के लिए लाभकारी होता है. शरीर को पर्याप्त ऊर्जा प्राप्त होती है. यह ऊर्जा सर्दी में शरीर की रक्षा रहती है.