July 9, 2025
धर्म जगत

Guru Purnima 2025: श्रद्धा और ज्ञान का पर्व

आषाढ़ माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है गुरु पूर्णिमा का पर्व
गुरु पूर्णिमा भारत की सांस्कृतिक विरासत में रचा-बसा एक पावन दिन है, जो आध्यात्मिक और शैक्षणिक गुरुओं के प्रति सम्मान प्रकट करने के लिए मनाया जाता है. यह पर्व आभार, श्रद्धा, विवेक और मार्गदर्शन के मूल्यों को सशक्त करता है. वर्ष 2025 में गुरु पूर्णिमा 10 जुलाई को मनाई जाएगी.
आषाढ़ मास की पूर्णिमा-
हिंदू चंद्र कैलेंडर के अनुसार, यह पर्व आषाढ़ महीने की पूर्णिमा को पड़ता है, जो जून-जुलाई के बीच आता है. इस दिन को “व्यास पूर्णिमा” भी कहा जाता है, क्योंकि इसे महर्षि वेदव्यास की जयंती के रूप में मनाया जाता है. वेदव्यास न केवल हिंदू महाकाव्य महाभारत के रचयिता थे, बल्कि भारतीय दर्शन के प्रमुख गुरु भी माने जाते हैं.
गुरु का अर्थ और महत्व
संस्कृत में ‘गुरु’ शब्द अंधकार को हटाकर ज्ञान का प्रकाश देने वाले व्यक्ति के लिए प्रयुक्त होता है. चाहे वह आध्यात्मिक शिक्षक हों या शैक्षणिक मार्गदर्शक—गुरु पूर्णिमा उनके योगदान और जीवन निर्माण में उनकी भूमिका को स्मरण करने का अवसर प्रदान करता है.
हिंदू, बौद्ध और जैन परंपराओं में स्थान

  • हिंदू धर्म में यह दिन वेदव्यास को समर्पित होता है, जो एक महान ऋषि एवं शिक्षक थे.
  • बौद्ध अनुयायी इस दिन को विशेष रूप से मनाते हैं, क्योंकि माना जाता है कि भगवान बुद्ध ने ज्ञान प्राप्ति के बाद सारनाथ में इसी दिन पहला उपदेश दिया था.
  • जैन समुदाय गुरु पूर्णिमा पर भगवान महावीर और उनके प्रमुख शिष्य गौतम स्वामी को श्रद्धांजलि अर्पित करता है.
    विभिन्न रूपों में श्रद्धा की अभिव्यक्ति
    गुरु पूर्णिमा की भावना धर्म की सीमाओं से परे है. भारत भर में इसे पूजा, सत्संग, व्रत, एवं गुरु-दक्षिणा जैसे विभिन्न रूपों में मनाया जाता है. यह वह दिन है जब शिष्य अपने गुरु के प्रति कृतज्ञता जताते हैं और उनसे जीवन के श्रेष्ठ मार्ग की प्रेरणा प्राप्त करते हैं