June 21, 2025
धर्म जगत

Geeta Jayanti एक अनूठा पर्व जो गीता के अवतरण की याद दिलाता है

श्रीकृष्ण के दिए वे संदेश जो सदा हमें जीवन की सही राह दिखाते हैं

मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मोक्षदा एकादशी की पावन तिथि पर ही गीता जयंती भी मनाई जाती है. इस साल 11 दिसंबर 2024 को गीता जयंती मनाई जा रही है. हिंदू धर्म में श्रीमद्भगवत गीता का विशिष्ट महत्व है. यही एकमात्र ऐसा ग्रंथ है जिसकी जयंती मनाई जाती है. गीता में श्रीकृष्ण के दिए संदेश आज भी गीता के स्वरूप में मुश्किल हालात में इंसानों का मार्गदर्शन करते हैं. श्रीमद्भगवत गीता में कुल 18 अध्याय हैं, जिसमें पहले के 6 अध्यायों में कर्मयोग, दूसरे के 6 अध्यायों में ज्ञानयोग और आखिरी के 6 अध्यायों में भक्तियोग के उपदेश दिए गए हैं.
द्वापर युग में महाभारत के युद्ध से ठीक पहले कुरुक्षेत्र में श्रीकृष्ण ने मार्गशीर्ष शुक्ल एकादशी को अपने मुख से अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था, इसलिए ऐसा माना जाता है कि इसी दिन श्रीमद्भगवत गीता का उद्भव हुआ. आइये इसके कुछ चुनिंदा श्लोक और उनके अर्थ देखें.
वासांसि जीर्णानि यथा विहाय
नवानि गृह्णाति नोरोपणानि।
तथा शरीराणि विहाय जीर्णान्य
न्यानि संयाति नवानि देहि।।
भावार्थ: जिस तरह मनुष्य पुराने कपड़े को त्यागकर नए कपड़े पहनता है, ठीक उसी प्रकार आत्मा भी पुराने और व्यर्थ शरीर का त्याग कर नए शरीर को धारण करती है.सुखदुखे समे कृत्वा लाभालाभौ जयाजयौ।
तो युद्धाय युज्यस्व नैवं पापमवाप्स्यसि।।
भावार्थ: कृष्ण अर्जुन से कहते हैं- तुम सुख-दुख, लाभ-हानि, विजय-पराजय का विचार किए बिना केवल युद्ध के लिए युद्ध करो. इससे तुम्हें कभी पाप नहीं लगेगा.जातस्य हि ध्रुवो मृत्युर्ध्रुवं जन्म मृतस्य च।
तस्मादपरिहार्येथे न त्वं शोचितुमर्हसि।।
भावार्थ: जिसने इस संसार में जन्म लिया है उसकी मृत्यु निश्चित है और मृत्यु के बाद पुनर्जन्म भी निश्चित है, इसलिए अपने अपरिहार्य कर्तव्यपालन में शोक नहीं करना चाहिए.नैनं छिन्दन्ति शस्त्राणि नैनं दहति पावकः।
न चैनं क्लेदयन्त्यापो न शोषयति मारुतः।।
भावार्थ: आत्मा न तो किसी शस्त्र द्वारा खंड-खंड हो सकती है, न ही अग्नि इसे जला सकती है, न जल इसे भिगा सकती है और न वायु इसे सुखा सकती है.गौरतलब है कि श्रीमद्भगवत गीता में इंसान के जन्म से लेकर मौत तक के चक्र और मृत्यु के बाद के चक्र को विस्तारपूर्वक बताया गया है. यह पवित्र ग्रंथ जगत के पालनहार भगवान विष्णु के आठवें अवतार भगवान श्रीकृष्ण के उपदेशों पर आधारित है. श्रीमद्भगवत गीता में श्रीकृष्ण ने जीवन और मृत्यु के गूढ़ रहस्य के बारे में बताया है. जिस प्रकार श्रीकृष्ण के उपदेश से अर्जुन के लिए महाभारत (Mahabharat) का युद्ध जीतना संभव हो सका, ठीक उसी तरह से गीता के ज्ञान से हर व्यक्ति जीवन में आने वाली कठिन परिस्थियों को मात देकर उनपर विजय प्राप्त कर सकता है.