July 31, 2025
धर्म जगत

Ekambareshwar शिव पार्वती के प्रेम का प्रतीक अनूठा मंदिर

कांचीपुरम का यह मंदिर कई बातों से चकित करता है और बेहद प्राचीन भी है

चेन्नई से महज 75 किलोमीटर दूर कांचीपुरम का एकम्बरेश्वर मंदिर अद्भुत मुदिरों की श्रेणी में रखा जाता है. 25 एकड़ में फैला यह प्राचीन मंदिर इसलिए भी खास है क्योंकि यहां शिव पृथ्वी लिंगम रूप में पूजित हैं. एकम्बरेश्वर या एकम्बरनाथ मंदिर का उल्लेख प्राचीन तमिल साहित्य में भी है. माना जाता है कि इसे सातवीं शताब्दी में पल्लवों ने और नौवीं शताब्दी में चोल वंश ने बनवाया जिसे विजयनगर राजाओं ने विशाल आकार दे दिया. पच्चीस एकड़ में फैले इस मंदिर का एक गोपुरम 11 मंजिला है और लगभग 192 फीट ऊंचाई लिए हुए है. यहां 1,008 शिवलिंगों वाला सहस्र लिंगम और हजार स्तंभों की संरचना बेहद अनूठी है.

इसी परिसर में भगवान विष्णु का मंदिर भी है. यहां मौजूद एक आम का पेड़ 3500 साल पुराना बताया जाता है, इस वृक्ष की चार डालियां चार वेदों की प्रतीक हैं और अचरज में डालने वाली बात यह है कि चारों डालियों पर आए आम का स्वाद अलग होता है. एकम्बरेश्वर मंदिर की कथा यह बताई जाती है कि जब खेल-खेल में शिव की आंखें मां पार्वती ने बंद कर दीं तो चहुंओर अंधेरा हो गया. तब शिव ने पार्वती को इस भूल के प्रायश्चित के लिए तपस्या करने को कहा. पार्वती ने तप के लिए कांचीपुरम में वेगवती नदी के किनारे यही जगह चुनी. एकम्बरेश्वर को साक्षात शिव व पार्वती के प्रेम का साक्षी माना जाता है.