Parliament: आगे आगे देखिए होता है क्या
लोकसभा चुनाव के दौरान इस बार जिस तरह से भाषा की मर्यादाएं भंग हुईं वह शुरुआत भर थी, गालिंब के
Read Moreलोकसभा चुनाव के दौरान इस बार जिस तरह से भाषा की मर्यादाएं भंग हुईं वह शुरुआत भर थी, गालिंब के
Read Moreडॉ. सहबा जाफरी का ब्लॉग : आख़िरी औरतें -डॉ. सहबा जाफरी -वे कौन सी औरतें थीं जो तड़के उठ, आँगन
Read More–सावधान!! रील्स-शॉर्ट फिल्म तबाही ला रहे हैं-सोनाक्षी, दीपिका, बिग बॉस,वेज-नॉनवेज के अलावा भी दुनिया में झांक लीजिए डॉ.छाया मंगल मिश्र
Read More-काम तो करना ही है- कर भी रहे हैं। बस हम थोड़ा एक्स्ट्रा करते हैं क्योंकि ‘एक्स्ट्राऑर्डिनरी’ करने की आदत है। पर हमारा वो ‘एक्स्ट्रा’होना, अब ऑर्डिनरी रह गया है। blog on office politics
Read Moreचंदेरी के बुनकरों ने जो विरासत संजोई और आगे बढ़ाई –डॉ.शिवा श्रीवास्तव हैंडलूम पार्क के एक हिस्से में घुसते ही
Read Moreअपना मान सम्मान, आत्मविश्वास, निर्णय लेने की आज़ादी और अपनी पसंद के काम करने की छूट हर स्त्री को मिलनी ही चाहिए। यदि न मिले तो उसे छीन कर लेनी होगी पर लेनी होगी…। जी लो जी भर के…
Read Moreदूसरों के जीवन में दखलअंदाजी से बचिए भिया… –डॉ.छाया मंगल मिश्र -प्लीज यार सोशल मीडिया पर मुझे टैग मत करना..
Read Moreनई बहू तैयार हो रही, इन्हें कमरे में जाना. ससुर/सास ने मना किया. अभी बहू नीचे आ जाएगी मिलने . नहीं जी इन्हें उसका कमरा देखना कैसा सजाया/ तैयार किया? कौन करता है ऐसा? बेटियों के कमरे झाँकने की बेशर्मी?
Read Moreपूरे समय बेटी के घर में उसके सास-ससुर, भरा पूरा परिवार होते हुए भी बार बार उनके घर में डेरा डाल के पड़े रहने का क्या कोई तुक बनता है. हां यदि परिस्थितियां प्रतिकूल हों, अनिवार्यता हो, इकलौती संतान हो, कोई आगा पीछा न हो तो हक़ और दायित्व दोनों बनते हैं. पर बार बार हमेशा तो उचित नहीं. किसी के घर अकारण बहू की मां जमी हुई है, कहीं पिताजी रुक गए, भाई बहन तो रिफ्रेशमेंट सेंटर बना लेते हैं.
Read Moreडॉ.छाया मंगल मिश्र (शिक्षाविद, लेखक) -‘सास ननद तो शक्कर की हों तो भी बुरी ही होतीं हैं.’इनमें घर में यदि
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