पर्यावरण दिवस पर कविता : हम हत्यारे बने हैं
-हंसा मेहता, इंदौर -कसमसाता मन हमारा ढूंढता है तपिश में छाया हम निर्दयी बने बेरहम बन, वन उजाड़े। घने आच्छादित
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