April 19, 2025
Business Trends

Trump Tariff और पुराने जमाने का अश्वमेध

  • आदित्य पांडे

सबसे ज्यादा चीन को झुकाने की कोशिश और अब उसने ही कहा मैं झुकेगा नहीं

ट्रंप के एक शब्द ‘टैरिफ’ ने पूरी दुनिया का हिसाब गड़बड़ा दिया है. यह पुराने जमाने में किए जाने वाले अश्वमेध यज्ञ जैसा है कि एक शूरवीर राजा ने घोड़ा छोड़ दिया है, अब या तो आप उसकी अधीनता स्वीकार कर लें या उसे हराने का सामर्थ्य लेकर सामने आएं. चूंकि ट्रंप ने सभी देशों पर टैरिफ की दरें सामने रख दी हैं तो यह साफ है कि अब हर देश को इस निर्णय के पक्ष या विपक्ष में ही साफ साफ दिखना होगा. कई देशों ने मान लिया है कि वे अपने यहां टैरिफ कम कर देंगे लेकिन चीन जैसों ने कहा है कि वे इस राजसूय का घोड़ा बांधने को तैयार हैं लेकिन ट्रंप के सामने हथियार डालने को तैयार नहीं हैं. यूरोप के देशों में इस बात को लेकर एका ही नहीं हो पा रहा है कि अमेरिका के इस कदम का क्या जवाब दें. ट्रंप के समर्थन में बेफिक्री से अब तक खड़े लोगों को भी समझ नहीं आ रहा है कि इस दांव के उलटा पड़ जाने की कितनी प्रोबेबिलिटी है और उनके विरोधी तो खैर मोर्चा खोले ही बैठे हैं. अमेरिका सहित पूरी दुनिया के बाजार लाल रंग से रंगे पड़े हैं तब ट्रंप साहब कह रहे हैं सब चंगा सी, चिंता ना करें. बाजार के दिग्गज कह रहे हैं कि अभी तो यह समझ ही नहीं आ रहा है कि इस टैरिफ का इफेक्ट कहां तक और किस पर कितना होना है लिहाजा अभी बाजारों का गिरना या चढ़ना सिरे से सिवा संवेदी सूचकांक की सेंसेटिव होने की इंतहा ही है. इस बीच सोमवार को एक मजेदार घटनाक्रम भी हुआ, अमेरिकी बाजार खुलते ही धड़ाम से नीचे आ गए लेकिन पलक झपकते ही जमकर रिकवरी दिखी, रिकवरी की वजह यह थी कि एक फेक न्यूज आई थी जिसमें कहा गया था कि ट्रंप टैरिफ के मामले को शायद तीन महीने के लिए टाल दें.

बाजार के लिए यह फर्जी खबर भी इतनी बड़ी थी कि किसी ने पूछना उचित नहीं समझा कि खबर कहां से आ रही है, किसके हवाले से है, जो व्यक्ति यह खबर दे रहा है उसका अस्तित्व क्या है और तो और जिसके हवाले से यह बात आई है क्या वह ट्रंप के लिए इतना इनफ्लुएंस रखता है. आप जिन फेक न्यूज को लेकर दूसरों को सतर्क करते बैठते हैं उनका आप ही शिकार हो जाते हैं जब मामला भावनाओं के ज्वार का हो और पूरी दुनिया में इस समय भावनाओं का वही ज्वार देखा जा रहा है. दरअसल ट्रंप का यह सब करना एक और बड़ा संकेत दे रहा है और वह यह कि अमेरिकी इकॉनॉमी चरमरा चुकी है, इसे सुधारने के लिए जो कुछ सुझाव जनवरी में सत्ता संभालने वाली सरकार को मिले हैं उनमें यह बात भी शामिल है कि फिजूलखर्च के लीकेज को तुरंत रोका जाए और यह तो है ही कि दूसरे देशों के टैक्सेशन के हिसाब से आप अपनी दर तय करें. ट्रंप ने बात को ठीक उसी अंदाज में लागू कर दिया अबौर नाम है रेसिप्रोकल टैरिफ. रेसिप्रोकल यानी इक्वल एंड अपोजिट लेकिन ट्रंप ने कहा कि कुछ मामलों में तो हम इतने पर भी नहीं रुकने वाले हैं इसलिए अब चीन को नई पचास प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ वाली धमकी मिली है. लोग मानने को ही तैयार नहीं हैं कि यही ट्रंप थे जो पहले भी एक कार्यकाल पूरा कर जा चुके थे. पिछले पूरे कार्यकाल में जितनी उठापटक उनके निर्णयों से नहीं हुई थी उतनी इस बार हुई है और इसके पीछे की वजह यह है कि बिडेन के जीतने को हमेशा ट्रंप ने चीटिंग माना, इस चीटिंग में बिडेन के साथ जो जो खड़े रहे उनका तो हिसाब करने के साथ ट्रंप को यह भी देखना है कि अब कोई ऐसी छद्म साजिश रचने वाली ताकतें पनप न पाएं. इन सभी को ठिकाने लगाने के फेर में ट्रंप ने उनके कारनामे सामने रखने शुरु किए हैं और अभी चल रहे वित्तीय तूफान के भी केंद्र में यदि आप देखें तो वही बिडेन की चार साला सत्ता मिलेगी. फिलहाल यह जोर का झटका ज़ोर से ही लग रहा है लेकिन ट्रंप की बेफिक्री देखकर दो ही संभावनाएं नजर आती हैं. पहली यह कि वे जानते हैं कि वे सब कुछ ठीक कर लेंगे और दूसरी यह कि उनका बोतल से निकाला हुआ जिन्न ही उनके लिए भस्मासुर बन सकता है जिसे वो होते हुए देख रहे हैं. दोनों में से कौन सी संभावना ज्यादा सटीक है इसके लिए थोड़ा सा इंतजार कीजिए और तब तक टाइमपास के लिए इंडेक्स की सुई को तेजी से ऊपर नीचे जाते आते देखिए.