Chanda Kochar की मुश्किलें लगातार बढ़ रहीं
वीडियोकॉन के वेणुगोपाल धूत से पैसा लेकर लोन देने का मामला
बैंकिंग जगत में एक समय सबसे सम्मानित नाम रहीं चंदा कोचर को आईसीआईसीआई की सीईओ और एमडी रहते हुए 64 करोड़ रुपए की रिश्वत लेने के आरोप में दोषी मान लिया गया है. वीडियोकॉन ग्रुप को दिए 300 करोड़ के लोन को लेकर कोचर ने पद का दुरुपयोग करते हुए रिश्वत के बदले लोन मंजूरी दी थी. मामला 2009 का है जब आईसीआईसीआई बैंक ने वीडियोकॉन इंटरनेशनल इलेक्ट्रॉनिक्स को उसकी क्षमता से कहीं ज्यादा का यानी लगभग 300 करोड़ का लोन मंजूर किया था. इससे पहले एक दो मौकों पर लगा था कि चंदा इस आरोप से बरी हो सकती हैं लेकिन एसएफईएमए के नए फैसले से यह उम्मीद भी खत्म हो गई है.
कोचर तब आईसीआईसीआई में लोन कमेटी की सदस्य थीं. जिस दिन लोन ट्रांसफर हुआ उसके अगले ही दिन वीडियोकॉन ग्रुप की कंपनी सुप्रीम एनर्जी के खाते से 64 करोड़ की राशि न्यूपॉवर रिन्यूएबल्स को भेजी और यह कंपनी चंदा कोचर के पति दीपक कोचर चलाते थे. यह लेनदेन सीधे लोन के बदले रिश्वत माना गया. 2018 में सीबीआई ने प्रारंभिक जांच शुरू की और कुछ ही महीनों बाद यानी 2019 में चंदा कोचर, दीपक कोचर और वीडियोकॉन के प्रमोटर वेणुगोपाल धूत पर एफआईआर कर दी. 2020 में ईडी ने 78 करोड़ की संपत्तियों को अस्थायी रूप से अटैच किया और 2022 में कोचर दंपत्ति को सीबीआई की गिरफ्त में आना पड़ा. बॉम्बे हाई कोर्ट ने कोचर को अंतरिम जमानत दे दी लेकिन अब यह साफ है कि चंदा कोचर ने लोन के बदले धूत से राशि वसूली थी.